November 22, 2024

आज़ाद समाचार सं०

कानपुर। कानपुर मेडिकल कालेज में चिकित्सा की पढ़ाई के साथ ही विभिन्न बीमारियों पर निरंतर शोध करके उनके उपचार हेतु नई नई चिकित्सा पद्धति विकसित की जाती है।कालेज की नई उपलब्धि थाईसिकल बीमारी का इलाज  है। थाइसिकल एक लाइलाज बीमारी है। इसमें मरीज की आंख अंदर की तरफ धंसने लगती है। उसके बाद धीरे-धीरे रोशनी चली जाती है। आंखों में पानी बनना बंद हो जाता है। इसके कारण प्रेशर भी नहीं बनता है। इस बीमारी का इलाज करना अब संभव हो गया है। अभी देश भर में इसका कहीं भी इलाज नहीं है।कानपुर मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग के डॉक्टरों ने इसका इलाज ढूंढ निकाला हैं। उन्होंने दावा किया है कि इसको लेकर अभी तमाम शोध चल रहे है, लेकिन स्टेम सेल थेरेपी के माध्यम से हमने इस बीमारी का इलाज संभव है। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने 18 साल के एक युवक का इलाज कर उसकी आंख बाहर लाए साथ ही रोशनी भी लौट आई। थाइसिकल की समस्या तब होती है जब आंखों के पीछे का बैलून में पानी आना बंद हो जाता है। बैलून में पानी आने से आंखों में प्रेशर बना रहता है, जब पानी बैलून में नहीं आ पाता है तो ये बैलून धीरे-धीरे सूखने लगता है। इसके सूखते ही आंख अंदर की ओर जाने लगती है और उसके साथ-साथ रोशनी भी चली जाती है। ऐसी स्थिति में अभी मरीजों को कोई कारगर इलाज नहीं मिल पा रहा था। मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग के डॉ. परवेज खान ने इस बीमारी को लेकर एक शोध किया। इस शोध में उन्होंने मरीजों को स्टेम सेल थेरेपी देना शुरू किया। जहां पर पानी नहीं बन पाता था, उसी जगह पर नए सेल थेरेपी के माध्यम से बनाए गए।किसी भी छोटे बच्चे के सेल निकालकर उऐ स्टेम सेल थेरेपी के माध्यम से दिया जाता है। इससे वापस उस जगह पर पानी बनना शुरू हो जाता है और फिर वो बैलून वापस से फूल जाता है और मरीज की आंखों का प्रेशर वापस आ जाता हैं। सिविल लाइंस निवासी एफएम कॉलोनी निवासी श्याम बाबू के 18 साल के बेटेअनिकेत की आंखों में थाइसिकल बीमारी हो गई थी। अनिकेत ने बताया कि 2020 में दिक्कत शुरू हुई। इसके बाद कानपुर के अलावा बनारस, दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में भी डॉक्टरों से परामर्श ली, लेकिन कही भी सफलता नहीं मिली। इसके बाद दो साल पूर्व अनिकेत हैलट अस्पताल में डॉ. परवेज खान की ओपीडी में दिखाने पहुंचे। डॉ. परवेज ने मरीज को देखा और उपचार करना शुरू कर किया। पहले तो मरीज को दवा दी गई। इसके बाद मरीज को स्टेम सेल थेरेपी के बारे में बताया गया। मरीज ने 2023 अक्टूबर में आकर इस थेरेपी को लिया। इसके बाद उसकी आंखों का प्रेशर शून्य से सीधे 8 तक पहुंच गया। जहां एक तरफ मरीज और उसके घर वालों को खुशी थी तो वहीं इस बात कहीं ज्यादा खुशी डॉक्टरों में भी थी। डॉ. परवेज खान ने बताया कि प्रेशर वापस लाने के बाद फिर 10 अप्रैल 2024 को मरीज की आंखों का ऑपरेशन कर मोतियाबिंद हटाया गया। ये ऑपरेशन थोड़ा जटिल था। इसमें मरीज को स्पेशल लेंस लगाया गया। 3 पीस (ग्लूड लेंस) लेंस लगाया गया। इसके बाद मरीज की आंखों की रोशनी भी वापस आ गई। अब मरीज पूरी तरह से ठीक हो गया है। हैलट अस्पताल में डॉ. परवेज खान और उनकी टीम ने मरीज का ऑपरेशन किया। यहां पर मरीज का फ्री ऑपरेशन हुआ, जबकि निजी अस्पतालों में छोटे से छोटा ऑपरेशन कराने में कम से कम एक लाख रुपए तक का खर्च आ जाता है। डॉ. परवेज खान ने बताया कि लगभग 6 से 7 साल से स्टेम सेल थेरेपी पर शोध कर रहा था, क्योंकि थाइसिकल का कोई भी इलाज अभी तक नहीं बना है, लेकिन ये इलाज अब संभव हो सका है। इसमें मरीज जितनी जल्दी आ जाता है, उसको उतना जल्दी ही रिकवर भी किया जा सकता है।