मोटी रकम लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारी दिला रहे प्रवेश
संवाददाता।
कानपुर| केंद्र सरकार की समग्र शिक्षा अभियान के तहत राइट टू एजुकेशन योजना पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों से निजी स्कूल प्रबंधन के मिलीभगत के चलते शिक्षा ग्रहण का सपना लिए छात्रों को दर बदर की ठोकरें खाने को मजबूर किया जा रहा है |निजी प्रबंधन स्कूल राइट टू एजुकेशन की लॉटरी में चयनित छात्रों को प्रवेश देने में आनाकानी कर रहे हैं |जबकि शिक्षा विभाग के अधिकारी उन्हीं स्कूलों पर अभिभावकों से मोटी रकम लेकर प्रवेश दिलाने का काम बखूबी अंजाम मे ला रहे हैं |उत्तर प्रदेश सरकार और से आवंटित सूची को निजी स्कूल प्रबंधन ठंडे बस्ते में डालने की पूरी कोशिश में लगा हुआ है |जबकि प्रभावशाली लोगों के बच्चों का प्रवेश बिना किसी शुल्क वसूली
पर ही लिया जा रहा है| शहर के कुछ चुनिंदा स्कूल अपनी हठधर्मिता दिखाते हुए अभिभावकों को बंदर घुड़की भी देने से बाज नहीं आ रहे है | शहर के चुनिंदा स्कूलों में खलासी लाइन स्थित एलेन हाउस और वहीं पर ही स्थित एनएलके ग्रुप के कई स्कूल शामिल है स्कूल प्रबंधन की टीम अभिभावकों के साथ अभद्रता भी कर रही हैं| गौरतलब है कि बीते मार्च में राइट टू एजुकेशन के तहत लॉटरी प्रदेश सरकार की बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से जारी की गई थी जिसमें लगभग 25% सीटों का आवंटन गरीब और निचले तबके के लोगों के बच्चों का किया गया था |लेकिन निजी स्कूल प्रबंधन सरकारी नियमों को धता बताते हुए अपने यहां प्रवेश देने से आनाकानी करते नजर आ रहे हैं| अभिभावक अप्रैल महीने से ही इन स्कूलों के चक्कर खाकर थक चुके हैं लेकिन इनके कानों पर जूं तक नहीं
रेंग
रही है
अभिभावक जब भी मिलने जाते हैं तो यह उनके साथ अभद्रता करने से भी गुरेज नहीं करते यही नहीं वह बेसिक शिक्षा अधिकारी स्तर के लोगों की भी बात नहीं मान रहे जबकि कुछ अधिकारियों ने जिलाधिकारी के साथ कई अन्य अधिकारियों से स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कार्यवाही के लिए आग्रह किया लेकिन फिर भी वह बाज आते नहीं दिखाई दे रहे हैं शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ निजी स्कूल प्रबंधन गरीब छात्रों के लिए प्रवेश में रोड़ा बनकर खड़े हो गए हैं जिससे गरीब व निचले तबके के छात्रों का भविष्य अंधकारमय होता दिखाई दे रहा है प्रेम नगर खंड विकास के एआरपी सत्येंद्र वर्मा और खंड शिक्षा अधिकारी दीपक अवस्थी का नाम निजी स्कूल प्रबंधन की टीम धर्मेंद्र दीक्षित और रंजीत मैसी को खासतौर पर देखा जा सकता है| यह लोग अपने मिलने वालों से मोटी रकम शायद 20 से लेकर 70–80 हजार तक वसूल कर प्रवेश दिलाने में मदद कर रहे हैं |लेकिन जो पैसा देने के सामर्थ्य नहीं है उनके बच्चों का प्रवेश अभी भी अधर में लटका हुआ है| इस बारे में बेसिक शिक्षा विभाग का कोई भी कोई भी अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है| एलेन हाउस में प्रवेश लेने के लिए भटक रहे एक छात्र के अभिभावक ने बताया कि इस स्कूल के धर्मेंद्र दीक्षित और रंजीत मैसी खंड शिक्षा और बेसिक शिक्षा अधिकारी के नाम की बंदर घुड़की देकर अभी तक टाला मटोली कर रहे हैं जिससे छात्र का भविष्य अंधकार में डूबता दिखाई दे रहा है इस बाबत जब स्कूल की प्राचार्य रुचि सेठ से बात करने की कोशिश की गई तो स्कूल प्रबंधन ने उनसे मिलने की इजाजत भी नहीं दी