नौ दिन स्वरूप नौ लिये, जग की तारण हार।
अनुपम महिमा माँ सुनो, करते जय जयकार।।
प्रथम दिवस नवरात्रि का, माँ का रूप अनूप।
सुता हिमराज की बनी, शैलपुत्री स्वरूप।।
नंदी बैल सवार हो, भ्रमण हिमालय तोर।
ध्यान धर्म अरु मोक्ष है, हाथ त्रिशूल अघोर।।
कमल पुष्प कर में लिए, जग में दे संकेत।
फूल कीच में खिल रहे, सृष्टि उर ले समेट।।
प्रथम दिवस पूजन करें, गौ घृत मधु का भोग।
करते घट की स्थापना, दूर दुख हो निरोग।।
संजीव कुमार भटनागर