September 8, 2024

कानपुर ।उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ के सचिव के फर्जी हस्ताक्षर के मामले में दिल्ली की ब्रिलियन्ट फॉरेंसिक इन्वेस्टिगेशन प्राइवेट लिमिटेड की रिपोर्ट सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रही है। इसमें फॉरेंसिक एक्सपर्ट डॉ. आदर्श मिश्र के मुताबिक यूपीसीए के पूर्व सचिव युद्धवीर सिंह को 28 मार्च को भेजे गए नोटिस और प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए भेजे गए आमंत्रण पत्र पर किए गए दोनों ही हस्ताक्षर एक ही व्यक्ति के है। हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की रिपोर्ट आने के बाद यूपीसीए के सचिव अरविंद श्रीवास्तव बेहद परेशान नजर आ रहे हैं। संघ में उनके किए गए कृत्य से लोग नाराज दिखाई दे रहे हैं तो वही आला अधिकारी इस बात से परेशान है कि पूर्व सचिव को नोटिस भेजने के बाद वह उस बात से मुकर क्यों गए ।कुछ लोगों का यह भी मानना है कि संघ की छवि धूमिल होते देख आला अधिकारियों ने उन पर हस्ताक्षर चोरी किए जाने का किसी पर भी आरोप लगाकर दबाव बनाने का काम किया था ।वहीं यूपीसीए सचिव अरविंद श्रीवास्तव के मुताबिक उनको किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं है। हो सकता है किसी ने उनके हस्ताक्षर स्कैन कर लिए हो।अरविंद श्रीवास्तव ने युद्धवीर सिंह को कारण बताओ नोटिस भेज कर अपने दर्द को बयां कर दिया था जिससे यूपीसीए के अन्दर हो रहे असंतोष एवं मोनोपॉली जो दिल्ली के द्वारा चलाई जा रही थी क्या पर्दा फाश हुआ।
युद्धवीर सिंह वा राजीव शुक्ला ने नोटिस पर उठाए गए बिंदुओं की गंभीरता और सच्चाई को देखते हुए सचिव पर अनेतिक दवाब बनाया और रोकने के लिए अज्ञात के नाम एफआईआर करने को बाध्य किया ताकि MCA और बीसीसीआई द्वारा इस नोटिस को गंभीरता से लिए जाने पर यूपीसीए पर होने वाली कार्यवाही को रोका जा सके जिसमे राजीव शुक्ला सफल हुए और यूपीसीए पर अपनी पकड़ कायम रखी।
इस मामले में पुलिस ने सचिव समेत चार-पांच लोगों को नोटिस देकर उनके बयान लिए थे। इसमें जीडी शर्मा, प्रदीप सिंह और उत्तम केसरवानी समेत अन्य के बयान दर्ज हुए थे। हस्ताक्षर को लेकर सचिव अरविंद श्रीवास्तव के बयान भी दर्ज हुए थे। फजलगंज पुलिस किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी थी। अचानक मामले को क्राइम ब्रांच ट्रांसफर कर दिया गया। अब सचिव के हस्ताक्षर मामले की जांच कानपुर की क्राइम ब्रांच टीम करेगी।

इस रिपोर्ट के बाद MCA और बीसीसीआई के सामने यूपीसीए की छवि तो धूमिल होगी परंतु कोई कड़ी कार्यवाही भी संभव है जिसका की सभी बेसवरी से इंतजार है
यह कयास लगाए जा रहे है की युद्धवीर सिंह एवं राजीव शुक्ला ने पूर्व डीजीपी के मदद से जांच को क्राइम ब्रांच में ट्रांसफर कराया जिससे सारा ठीकरा अपने विरोधियों पर फोड़ा जा सके जबकि दोनो भूल गए की नोटिस में दिए गए सारे तथ्य किसी अंदरूनी आदमी को ही पता होंगे कोई बाहरी व्यक्ति को केसे पता चलेगा। यूपीसीएल के सचिव अरविंद श्रीवास्तव हर बार की तरह इस बार भी फोन कॉल रिसीव नहीं की जिससे उनसे बात नहीं की जा सकी

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