संवाददाता।
कानपुर। उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ में कभी सर्वे-सर्वा रहे दिल्ली् में बैठे आका के वर्चस्व के रंग का असर अब फीका पडने लगा है। अब इसकी बागडोर कहने के लिए तो किसी के पास है लेकिन उस पर प्रभावी कई अन्य लोग हैं या फिर ये कहा जाए कि प्रभार किसी अन्य प्रभावशाली व्यक्तियों के पास सीमित कर दिया गया है। संघ में होने वाले सभी प्रकार के निर्णयों पर अंतिम मुहर सहारनपुर और मेरठ से सम्बन्ध रखने वाले पदाधिकारियों की ही लगती है। जबकि इसके पूर्व दिल्लीु वाले आका की मुहर अंतिम मानी जाती रही थी। सभी पदाधिकारी और कार्यकारिणी के सदस्य दिल्ली दरबार के आगे झुक कर सलाम ठोंकते रहते थे। अब यह रंग यूपीसीए के पूर्व सचिव मेरठ वाले शिक्षक और सहारनपुर वाले भाई पर पूरी तरह से चढ चुका है। उनका प्रभाव और दबाव प्रदेश के पूरे संघ के सदस्यों और पदाधिकारियों के साथ कर्मचारियों में भी परस्पर बना हुआ है।संघ के सभी निर्णयों पर बीते कई सालों से पूर्व सचिव की ही मुहर लग रही है। तक कि ग्रीनपार्क’ कमला क्लब के साथ ही मेरठ और लखनऊ में होने वाले मैच को आवन्टित करवाने के लिए भी उन्ही के इशारों पर मुहर लगायी जाती है। गौरतलब है कि साल 2019 में सचिव की कुर्सी संभालने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर का संघ में प्रभुत्व स्थापित करने में एक और पूर्व सचिव राजीव शुक्ला का हाथ रहा।
जबकि सचिव पद पर रहते हुए तो उनके किए निर्णय सभी लोगों को मान्य रहे। उनके कूलिंग पीरियड में जाते ही फिरोजाबाद के प्रदीप गुप्ता को कमान मिली तो भी उनको निर्णय लेने का अधिकार नही दिया गया। इसके बाद संयुक्त सचिव मोहम्मद फहीम को कार्यभार प्रभार मिला तो भी उनके बीच निर्णयों को लेकर मतभेद उभरे।साल 2021 के नवम्बर में न्यूजीलैण्ड के खिलाफ ग्रीनपार्क में खेले गए मैच में भी निर्णय मेरठ में बैठे असिस्टेंट प्रोफेसर और भाई ही ले रहे थे।
यूपीसीए के सूत्र बतातें हैं कि बीते साल 2022 के अन्त में अरविन्द श्रीवास्तव को नए सचिव के रूप में नियुक्त किया गया इसके बाद भी सारे निर्णय मेरठ और सहारनपुर में लिए जा रहे थे। तब इसकी शिकायत बोर्ड और कोर्ट में की गयी तो समस्या का निराकरण करने की कोशिश की गयी लेकिन आशातीत सफलता नही मिल सकी। सूत्र यह भी बताते हैं कि लखनऊ का प्रभार होने के चलते आईपीएल समेत विश्व् कप के मैच करवाने का निर्णय भी उन्ही दोनों की ओर से किया गया था।
यहां तक कि आयरलैण्ड दौरे के लिए भारतीय क्रिकेट टीम का मैनेजर बनने के लिए भी उन्होंने बोर्ड में यूपीसीए की ओर से अपना प्रतिनिधित्व करना बताया था। यूपीसीए के सभी अहम निर्णयों में पूर्व सचिव का पूरी तरह से हस्तक्षेप और दबाव बना हुआ है। बीते कई सालों से यूपीसीए के लिए किए जाने वाले अहम और महत्वूपूर्ण निर्णयों में उनकी ही मुहर अन्तिम मानी जा रही है। अभी हाल ही में उनके वर्चस्व का नजारा सामने आया जब लखनऊ के इकाना स्टेडियम में अध्यक्ष निधिपति सिंहानिया और सचिव अरविन्द श्रीवास्तव के साथ मौजूद अन्य पदाधिकारियों को छोडकर वह पूर्व भारतीय कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी को उपहार देने के लिए पूर्व सचिव राजीव शुक्ला के बगल में खडे रहे जबकि सचिव को नजर अन्दाज करते पाए गए थे।
गौरतलब है कि मेरठ कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर और भाई के नाम से प्रसिद्ध शख्स ने उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ पर अपना मालिकाना हक ही समझ लिया है। अब तो कभी वजूद में रहे दिल्ली के आला कमान का रंग मेरठ और सहारनपुर के आगे फीका पड़ता जा रहा है। यूपीसीए के पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अब सारे फैसले इन्हीं दोनों के इशारों पर ही किए जाते हैं । इस मामले में जब उपाध्यक्ष मोहम्मद फहीम से फोन पर बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन नहीं उठाया ।इनसेट -उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव अरविंद श्रीवास्तव के उसे वक्तव्य पर भी लोगों ने प्रतिक्रिया शुरू कर दी है| जिस पर उन्होंने अलीगढ़ क्रिकेट संघ के पदाधिकारी रहे प्रदीप सिंह पर संगठन में न होने का जिक्र किया है |यही नहीं चर्चा इस बात पर भी है कि जब संगठन के सारे बोर्ड आफ डायरेक्टर्स ही मालिक हैं तो पदाधिकारी का कोई काम रह गया है? क्या इस मामले पर प्रदीप सिंह का कहना है कि सचिव पद पाने के बाद अरविंद श्रीवास्तव को इस बात का भी इल्म नहीं है कि किसी के बारे में टिप्पणी बिना सोचे नहीं की जा सकती| उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश क्रिकेट संघ अलीगढ़ क्रिकेट एसोसिएशन के नाम से 2022 तक सारे कार्य करते आ रहा है जिसमें प्रमुख रूप से चयन प्रक्रिया भी शामिल है| उन्होंने मामले की गंभीरता को समझते हुए कहा कि हो सकता कि अरविंद श्रीवास्तव ने यह जवाब किसी दबाव में दिया हो या कानून के बड़े ही विशेषज्ञ हो गए हो| उन्होंने यह भी कहा कि संघ में कुछ भी पारदर्शी नहीं दिखाई दे रहा है| अब सब कुछ मेरठ और सहारनपुर की क्रिकेट संघ के हाथ में है जो पूर्व सचिव राजीव शुक्ला के खास लोगों में गिने जाते हैं|