कानपुर। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव अरविन्द श्रीवास्तव के लैटर हेड पर खिलाफ उन्ही के हस्ताक्षर को लेकर जारी चिटठी ने अभी तक कोहराम मचा रखा है। जहां एक ओर लैटर हेड में किए गए हस्ता्क्षर को लेकर चली फॉरेंसिक जांच पूर्णतया सही पाई गई थी तो दूसरी ओर उस मामले में अब क्र्राइम ब्रान्च तथ्यों की जांच पर काम कर रही है। क्राइम ब्रान्च इस मामले में बीसीसीआई के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला तक अपना शिकंजा कसने में कामयाब हो गयी है। यही नही क्राइम ब्रान्च के अधिकारियों के सामने उनकी पेशी के निर्देश जारी कर दिए गए थे ये अलग बात है कि प्रभावशाली रुतबे के चलते वह अपने बयान दर्ज करने के लिए समय पाने में सफल रहे लेकिन उनको कार्यालय तक बुलाने में क्राइमब्रान्च पूरी तरह से सफल रही है। लैटर हेड मामलें में उनका नाम शामिल होने से पूरे यूपीसीए समेत बीसीसीआई में हडकम्प मचा हुआ है। गौरतलब है कि बीते तीन महीने पूर्व यूपीसीए के सचिव अरविंद श्रीवास्तव के हस्ताक्षरित एक पत्र में पूर्व सचिव युद्धवीर सिंह के खिलाफ जो नोटिस जारी किया था। जिसमें पूर्व सचिव युद्धवीर सिंह से उनके कूलिंग पीरियड में रहते हुए प्रदेश सरकार के साथ स्टेडियम निर्माण को लेकर एमओयू करने पर सवाल खडा करते हुए पूछताछ की थी। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व सचिव युद्धवीर सिंह ने सचिव अरविन्द श्रीवास्तव के किए इस कृत्य पर कड़ी नाराजगी जताते हुए आला अधिकारियों से मामले को रफा-दफा कराने की गुहार लगायी थी। इस पर उनके खिलाफ कारण बताओ नोटिस भी जारी किया जा चुका था! गौरतलब है कि जिनके खिलाफ नोटिस जारी किया गया था उन्होंने पुलिस से आवेदन कर उनके हस्ताक्षर की फॉरेंसिक जांच की मांग की थी जिस पर अमल करते हुए बीएफआई के माध्यम से वह जांच करवाई और सचिव अरविंद श्रीवास्तव के हस्ताक्षर पूर्णतया सही पाए गए थे। इसमें फॉरेंसिक एक्सपर्ट डॉ. आदर्श मिश्र के मुताबिक यूपीसीए के पूर्व सचिव युद्धवीर सिंह को 28 मार्च को भेजे गए नोटिस और प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए भेजे गए आमंत्रण पत्र पर किए गए दोनों ही हस्ताक्षर एक ही व्यक्ति के थे। पूर्व सचिव को नोटिस भेजने के बाद वह उस बात से मुकर क्यों गए थे ।कुछ लोगों का यह भी मानना है कि संघ की छवि धूमिल होते देख आला अधिकारियों ने उन पर हस्ताक्षर चोरी किए जाने का किसी पर भी आरोप लगाकर दबाव बनाने का काम किया था ।
युद्धवीर सिंह व राजीव शुक्ला ने नोटिस पर उठाए गए बिंदुओं की गंभीरता और सच्चाई को देखते हुए सचिव पर अनेतिक दवाब बनाया और रोकने के लिए अज्ञात के नाम एफआईआर करने को बाध्य किया था ताकि MCA और बीसीसीआई द्वारा इस नोटिस को गंभीरता से लिए जाने पर यूपीसीए पर होने वाली कार्यवाही को रोका जा सके जिसमे राजीव शुक्ला सफल हुए थे और यूपीसीए पर अपनी पकड़ कायम रखी थी।लेकिन क्राइम ब्रान्च की टीम ने इस मामले में सचिव समेत चार-पांच लोगों को नोटिस देकर उनके बयान लिए थे। इसमें जीडी शर्मा, प्रदीप सिंह और उत्तम केसरवानी समेत अन्य के बयान दर्ज हुए थे। हस्ताक्षर को लेकर सचिव अरविंद श्रीवास्तव के बयान भी दर्ज हुए थे। मामले को क्राइम ब्रांच ट्रांसफर कर दिया गया था। सचिव के हस्ताक्षर मामले की जांच कानपुर की क्राइम ब्रांच टीम सभी के बयान दर्ज करने के साथ ही कर रही है। अब इस मामले में क्राइम ब्रान्च् की टीम ने बीसीसीआई उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला पर भी शिकंजा कसते हुए बयान दर्ज करने के लिए कार्यालय में उपस्थित होने के निर्देश दिए थे जिस पर अमल करते हुए वह बीते तीन दिन पूर्व क्र्राइम ब्रान्च् के अधिकारियों के समक्ष पेश हुए ,ये अलग बात है कि उन्होंने बयान दर्ज कराए नही ये साफ नही हो सका है। क्राइमब्रान्च के सूत्रों के अनुसार बीसीसीआई उपाध्यक्ष इस मामले में पेशी पर आए लेकिन अभी उनके बयान दर्ज नही हो सके हैं। वहीं इस मामले में यूपीसीए के सचिव अरविंद श्रीवास्तव हर बार की तरह इस बार भी फोन कॉल रिसीव नहीं की जिससे उनसे बात नहीं की जा सकी।