प्रीमियर लीग में भी बाहरी लोगों से अपना रिश्ता कायम रखने में सफलता जारी
खिलाडी ही नही प्रशिक्षक और वीडियो एनलिसिस्ट भी अब प्रदेश के बाहर से
कानपुर। उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ का प्रदेश के बाहरी क्रिकेटरों और प्रशिक्षकों से मोहभंग होता नही दिखायी दे रहा है। सूबे से सटे और दूर –दराज के प्रदेश के लोगों से अपना रिश्तां कायम रखने में सफलता जारी रखी हुयी है। अब तो रणजी ट्राफी की टीम के कोच समेत कई अन्य् सपोर्टिंग स्टाफ में भी प्रदेश के बाहर के लोगों को देखा जा सकता है। यही नही संघ का बाहर प्रदेश के लोगों से अगाध प्रेम यहां के प्रतिभाशाली लोगों के लिए एक अभिशाप सा बनता जा रहा है। यहां के प्रतिभाशाली लोगों की अनदेखी उनको उस कार्य को करने से रोकने का काम कर रही है जिनके लिए वह विशेषज्ञ के रूप में पहचान स्थांपित कर चुके हैं। यह कहना गलत नही होगा कि प्रदेश क्रिकेट संघ के प्रथम श्रेणी स्तर के अधिकारियों को यहां के विशेषज्ञ लोगों की प्रतिभा पर भरोसा ही नही रह गया है। फिर वो चाहे पूर्व क्रिकेटरों को रणजी ट्राफी में मुख्य कोच पर नियुक्ति देने की बात हो या फिर सपोर्टिंग स्टाफ की। प्रदेश में एक से बढकर एक पूर्व क्रिकेटर हैं जिन्हे 70 से लेकर 120 मैचों का कडा अनुभव प्राप्त है लेकिन बाहरी प्रेम उनको बैरीकेड करने में सहायक हो जाता है। गौरतलब है कि प्रदेश की टीम के लिए सुनील जोशी जिनका अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट कैरियर बहुत अच्छा कभी भी नही रहा उन्हे् टीम का मुख्य कोच दोबारा बना दिया गया जबकि उनसे अच्छे क्रिकेटर प्रदेश को अपनी सेवाएं दे चुके हैं और प्रदेश की टीम को चैम्पियन तक बना चुके हैं जिनमें मुख्य मो.कैफ,ज्ञानेन्द्र पान्डेय,आशीष विन्सटन जैदी, राहुल सप्रू,शशिकान्त खान्डेकर,आरपी सिंह अरविन्द सोलंकी जैसे नाम हैं। संघ की बहुप्रतीक्षित टी-टवेन्टी् प्रीमियर लीग केवल कहने के लिए ही प्रदेश के लोगों को शामिल कर आयोजित की जा रही है जबकि तस्वीर बिल्कुल ही उलट ,बाहरी प्रदेश के सदस्यों का अतिक्रमण संघ की टीमों से जुडे कई अहम पदों जोरों पर जारी है। संघ के सदस्यों का बाहरी लोगों से प्रेम एक और बानगी दिखाता है जब टी-टवेन्टी लीग के लिए वीडियो एनिलिसिस्ट की आवश्यकता पडने पर हैदराबाद और दिल्ली से लोगों को बुलवा लिया गया जबकि प्रदेश में भी वीडियो एनिलिसिस्ट की कमी नही है। बतातें चलें कि लीग में खेलने वाली सभी टीमों को वीडियो एनिलिसिस्ट की आवश्यकता थी जिसमें से पहले तीन टीमों के लिए प्रदेश के विशेषज्ञों को नियुक्त कर दिया गया फिर एक को किसी विशेष के कहने पर लेकिन दो बाहरी लोगों को प्रवेश दिलाने से यहां के विशेषज्ञों का रास्ता रोक दिया गया जिससे उनकी प्रतिभा एक बार फिर हाशिए पर आ गयी। यूपीसीए के सूत्रों के मुताबिक बाहरी लोगों के प्रवेश से यहां के लोगों की प्रतिभा का हास लगातार हो रहा है। इस मामले में संघ के संयुक्त सचिव रियासत अली से बात करने को फोन कॉल की गयी तो उन्होंने बिजी का बहाना बनाकर कट कर दिया।