November 21, 2024


कानपुर। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने मेहमानवाजी की परंपरा को धता बताने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी है और उस पर भी समरूपता दिखाने की भी हिमाकत नही कर सके। अपनी ही मेजबानी में मेहमानों के साथ नाइंसाफी का एक मामला प्रकाश में आया है । 2 से 5 फरवरी तक रणजी ट्रॉफी मैच खेलने के लिए असम से आई टीम के साथ यूपीसीए के प्रबन्धन समिति ने नाइंसाफी करने की हिम्मत पता नही कहां से जुटा ली। यूपीसीए ने रणजी ट्राफी जैसी देश की सबसे बडी घरेलू प्रतियोगिता के नियमों की धज्जियां उडाने में कोई कोर कसर बाकी नही रखी। यूपीसीए ने जहां अपनी टीम के लिए शहर के सबसे प्रतिष्ठित होटल में रुकने का प्रबन्ध करवाया तो मेहमानों के साथ दोहरा मापदण्ड दिखाते हुए उनकी क्रिकेट टीम को विश्वविद्यालय के गेस्ट हाउस में रुकवाने का काम किया। प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने शायद नियम से परे हटकर काम किया है मेजबान यूपीसीए ने अपने खिलाड़ियों को तो फाइव स्टार होटल की सुविधाओं से लैस रखा वही असम के खिलाड़ियों को मैदान से लगभग 13 किलोमीटर दूर विश्वविद्यालय के अतिथि ग्रह में रुकने के लिए इंतजाम करवाएं जिससे असम की टीम और उसका प्रबन्धन पूरी तरह से असंतुष्ट दिखाई दिए। हालांकि असम की टीम प्रबन्धन ने यहां पर मिली असुविधाओं के साथ ही नाश्ता‍ भी समय से न मिलने की शिकायत बोर्ड के अधिकारियों से मौखिक रूप दर्ज से दर्ज करवा दी है। असम की टीम यूपीसीए के इस रवैये से खासे क्षुब्धा भी दिखायी दिए। गौरतलब है कि यूपीसीए में वर्तमान समय में कई कर्मचारी क्रिकेट आपरेशन को सम्पावदित करने का कार्य कर रहे है। क्रिकेट के जानकार बतातें हैं कि बोर्ड की ओर से कई महीनों पहले ही मैच आवन्टन की सूची मेजबान संघों को मेल और पत्र के माध्यम से उपलब्धं करवा दी जाती है। इसके बाद भी यूपीसीए में मोटी तनख्वाह पर कार्य करने वाले कर्मचारी मेहमान टीम के लिए एक अदद होटल की व्यवस्था भी नही कर सके। जिसके लिए असम जैसी टीम को एक गेस्ट हाउस में रुकने के लिए विवश होना पड गया। बतातें चलें कि विश्वविद्यालय के गेस्टं हाउस की बुकिंग नियम विरुद्ध तरीके से करवायी गयी है। क्रिकेट के जानकार यह भी बतातें है कि अगर विश्वविद्यालय की टीम रणजी ट्राफी जैसे महत्वपूर्ण प्रतियोगिता का हिस्सा होती तो यह संभव था लेकिन ये समझ से परे है कि टीम को रुकने के लिए कैसे तैयार किया गया । शहर के एक पूर्व रणजी ट्राफी खिलाडी ने बताया कि मेजबान टीम यूपीसीए को भी वहीं रोकना चाहिए जिससे समरूपता बनी रहती। टीम के खिलाडियों को गेस्ट हाउस में न तो जिम की सुविधा मिली और न ही सोना बाथ जैसी, मीटिंग रूम भी एक हॉल में स्थापित करवा दिया गया था। यही नही एक कमरे में दो खिलाडियों को समायोजित किया गया था। उनके कमरों के किराए की बात की जाए तो जहां यूपीसीए के खिलाडियों को रोका गया था उसका किराया लगभग 10 से 12 हजार रूपए प्रतिदिन के हिसाब से था जबकि विश्वविद्यालय के गेस्ट हाउस वाले कमरों का किराया केवल 15 सौ रुपए प्रतिदिन के हिसाब से तय था और वहां पर संघ ने 13कमरों का आवन्‍टन करवाया था। टीम को विश्वविद्यालय के गेस्ट हाउस से स्टेडियम पहुंचने के लिए लगभग डेढ घंटे पहले ही निकलना पडता था। इस बावत यूपीसीए का तर्क था कि होटल उपलब्ध नही थे मेजबान टीम के साथ न्याय और मेहमानों के साथ अन्याय किस आधार पर किया गया। ग्रीनपार्क में होने वाले मैच में इस कदर से लापरवाही संघ के अध्यक्ष और सचिव के दावों पर प्रश्नचिन्ह लगा रही जिसमें वह यह कहते दिखायी देते हैं कि संघ में सब कुछ चंगा सी। इस बारे में डायरेक्टर –इन-चार्ज से बात करने की कोशिश की गयी लेकिन सफलता नही मिल सकी।

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