उत्तर प्रदेश क्रिकेट प्रीमियर लीग में कई निदेशकों की टीम कर रही भागेदारी
कानपुर उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन साल 2019 में लागू लोढ़ा समिति की सिफारिश की छीछालेदर करके रख दी है। समिति की सिफारिशों का इस कदर मखौल उड़ाया जा रहा है कि क्रिकेट जगत में लोग अब संघ को हिकारत की दृष्टि से भी देखने लगे हैं। क्रिकेट जगत में भी इस बात को लेकर हड़कंप मचा हुआ है कि प्रदेश क्रिकेट संघ अपने मनमानी रवैया से समिति की सिफारिशों को नजरअंदाज कर रहा है। बतातें चलें कि जिस लोढ़ा समिति की सिफारिशों को पूरी तरह से मानने के लिए प्रतिबद्धता दिखायी थी उन्हीं नियमों का उल्लंघन वर्तमान समय में संघ के पदाधिकारी पूरी तरह से करते नजर आ रहे हैं। यूपीसीए ने साल 2019 में अपनी एजीएम से पूर्व ही बीसीसीआई, सुप्रीम कोर्ट समेत कारपोरेट मन्त्रालय के अधिकारियों को एक हलफनामा दिया था जिसमें साफ तौर पर यह अंकित है कि संघ से जुड़ा कोई भी आदमी अपने फायदे के लिए क्रिकेट की गतिविधियों को संचालित नहीं करेगा। संघ के पदाधिकारियों समेत अधिकारी केवल प्रशासनिक तौर पर उसको नियंत्रित कर सकेगा।लेकिन चार साल बीतने के बाद भी संघ के पदाधिकारी अपने ही हलफनामे की परत -दर -परत छीछालेदर करते नजर आ रहे हैं। हद तो अब और भी हो गयी जब उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ की बहुप्रतीक्षित T20 क्रिकेट लीग में संघ के निदेशकों की ही टीमों को शामिल कर लिया गया। गौरतलब है कि नोएडा की एक कम्पनी जो यूपी टीम की मुख्य प्रयोजक भी है अब वह भी प्रदेश लीग की टीम खिलाकर नियमों का लगातार उल्लंघन कर रही है। यही नहीं प्रदेश लीग की कमान संभालने वाले चेयरमैन भी निदेशक के पद पर तैनात हैं, जो पूर्व में प्रदेश के डीजीपी स्तर के अधिकारी रह चुके हैं। लोढा समिति की सिफारिशों के नियमों में साफ है कि संघ कोई भी पदाधिकारी या निदेशक कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट मे लिप्त नहीं पाया जाना चाहिए। संघ के सूत्रों के मुताबिक कई पदाधिकारियों ने लोढा की सिफारिशों को ठीक से पढा ही नही तो इस पर अमल करने की गुंजाइश ही नही है। अब देखना यह होगा कि संघ की इस विरोधाभास वाली लोढा समिति की सिफारिशों के लिए बीसीसीआई, सुप्रीम कोर्ट समेत कारपोरेट मन्त्रालय में दाखिल हलफनामे को मनवाने के लिए विभागीय अधिकारी कौन सा जतन करने में सफल होंगे। इस महत्वपूर्ण विषय केे बारे में यूपीसीए के सचिव अरविन्द श्रीवास्तव ने बोलने से मना कर दिया।



