कानपुर। कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम की पिच का विवादों से गहरा नाता रहा है। साल 2008 से शुरु हुए विवादों का अन्त हो जाता अगर उस पर काम करने वाले विकेट निर्माणकर्ता की काबिलियत को संघ के लोग अच्छी तरह से समझ पाते। 30 अगस्त से शुरु हो रही प्रदेश टी-टवेन्टी लीग का पहला मैच भी विवादास्पद 3 नम्बर पिच पर ही शुरु हो रही है। गौरतलब है कि इस पिच पर साल 2009 में श्रीलंका के खिलाफ एक दिवसीय और बंगाल के खिलाफ रणजी ट्राफी का मुकाबला खेला गया था। जिसमें मेजबान यूपीसीए पर कंलक की गाथा का इतिहास लिख दिया गया था। यही नही यूपीसीए उससे भी सबक नही ले सका और बीती 2021 के नवम्बर में न्यूजीलैण्ड के खिलाफ खेले गए टेस्ट मैच में उनकी सेवाएं ली और किरकिरी करा दी। असमतल उछाल के लिए न्यूजीलैण्ड के कोच व कप्तान ने मेजबान से शिकायत दर्ज करवायी थी। इसके बाद विकेट निर्माणकर्ता (जो कई बार टेस्ट में फेल हो चुके हैं) का स्थानान्तरण कमला क्लब में कर दिया गया था –लेकिन छपास रोग के चलते वह ग्रीनपार्क में अपने आप ही पहुंचे और विकेट पर रोलर चलवाने के लिए निर्देश देने लग गए। ग्रीनपार्क के स्वंयभू विकेट निर्माणकर्ता पर आकाओे का हाथ देखकर सभी उनके निर्देश का पालन कर रहे है। इसके पीछे की वजह यहां के विकेट से जुड़े कई विवाद बताए जा रहे हैं।पिच जानकारों की मानें तो ग्रीन पार्क की पिच पर असमतल उछाल है। इसके निर्माण प्रक्रिया पर सवाल उठ सकते हैं। बीते दो महीनों से ग्रीन पार्क की पिचों पर प्रदेश की टीम के चयन को लेकर कई अभ्यास मैच खेले गए । इस दौरान मीडिया सेंटर की ओर वाले छोर पर गेंद कमर की ऊंचाई से अधिक उठ ही नहीं पा रही, जबकि पुराने पैवेलियन छोर पर से गेंद सिर के ऊपर से गुजर रही है। यही नहीं पिच पर एक घंटे बाद ही धूल उड़ने लगती थी। इस पिच में हो रहे परिवर्तन के बारे में अभ्यास मैच के दौरान एक चयनकर्ता ने भी अपनी शिकायत नोडल अधिकारी से दर्ज कराई थी। इसके बावजूद क्यूरेटर के प्रभाव के आगे शिकायत को अनसुना कर दिया गया था। ग्रीन पार्क विकेट का विवाद लगभग 13 साल पुराना है, जब पहली बार तीन दिन में टेस्ट मैच समाप्त होने पर साउथ अफ्रीकी टीम ने पिच के साथ छेड़छाड़ कर टीम को हरवाने का आरोप लगाया था। इस पर आईसीसी ने क्यूरेटर समेत बीसीसीआई से स्पष्टीकरण तक मांग लिया था। क्यूरेटर के खिलाफ साल 2008 में भारत-अफ्रीका टेस्ट मैच के दौरान पिच के साथ छेडछाड की शिकायत पर केस दर्ज हुआ था। हालांकि यूपीसीए के निवर्तमान पदाधिकारी ने आईसीसी से माफी मांग कर मामला रफा-दफा करवा दिया था।
ग्रीनपार्क की पिच का जिन्न एक बार फिर से निकल सकता है। साढ़े छह साल पहले आईपीएल में जिस पिच क्यूरेटर पर सट्टेबाजों की नजर थी, आज भी यूपीसीए उस पर भरोसा जता रहा है। इसके बाद 2009 में श्रीलंका के ऑफ स्पिनर मुथैया मुरलीधरन ने भी अपनी टीम के हार जाने के बाद कप्तान कुमार संगकारा के साथ संयुक्त रूप से आईसीसी से पिच के साथ छेडछाड करने का आरोप लगाया था। इसके बाद साल 2010 में घरेलू मैचों की रणजी ट्रॉफी स्पर्धा में यूपी और बंगाल के मैच दो दिन में ही समाप्त हो गए थे। इस दौरान बंगाल के कप्तान सौरभ गांगुली ने बीसीसीआई से शिकायत की थी और पिच क्यूरेटर पर भी जमकर नाराजगी जताई थी। इस बारे में यूपीसीए के सचिव अरविन्द श्रीवास्तव से बात करने की कोशिश की गयी लेकिन सफलता नही मिल सकी।