इस निर्ण्रय से उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन से जुड़े पैनल के अंपायरों का भविष्य अन्धकार में
अंपायरिंग व स्कोरिंग पैनल के ठेकेदारों ने लगाया प्रदेश स्तर के भविष्य पर ग्रहण
कानपुर। उत्तर प्रदेश क्रिकेट प्रीमियर लीग का आयोजन तो वैसे उत्तर प्रदेश के क्रिकेटर और अंपायरो समेत सूबे के प्रोफेशनल लोेगों का भला करने के उददेश्य से किया जाना था। लेकिन हो इससे उलट ही रहा है उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन से जुड़े कई सहायक पैनलों के सदस्यों को ही उनकी योग्यता के अनुसार कार्य सम्पादित करने का अवसर प्रदान ही नही करने दिया जा रहा है। कहीं वीडियो एनिलिसिस्ट के लिए राष्ट्रीय स्तर के लोगों को बुलवाया गया तो कहीं अंपायरिंग व स्कोरिंग पैनल के ठेकेदारों ने प्रदेश के अच्छे लोगों इस लीग में शिरकत करने का अवसर ही नही दिया। संघ की ओर से जारी आधिकारिक बयान में बताया गया है कि बीसीसीआई ने अम्पायरों और स्कोररों की नियुक्ति की है जबकि बोेर्ड की ओर से किसी के पास आधिकारिक पत्र नही आया है। राज्य स्तरीय यूपीसीपीएल प्रतियोगिता के लिए नगर के कई अम्पायरों को चुना ही नही गया जिससे उनके समूह में संघ के ठेकेदारों के खिलाफ नाराजगी व्यक्त की है। संघ से नाराज व आक्रोशित अम्पायरों के समूह ने इस मुददे को व्यापक करने का संकल्प ले लिया है। गौरतलब है कि प्रदेश की टी-टवेन्टी लीग के लिए कुल 33 मैच खेले जाने है जिसमें अम्पायरों का विशेष योगदान किया जाना है। इन मैचों में पोस्टिंग न मिलने से नाराज अम्पायरों ने अम्पायर व स्कोरिंग कमेटी के चेयरमैन बीडी शुक्ला से अपनी शिकायत भी दर्ज करायी लेकिन किसी प्रकार की सफलता नही मिल सकी है। नाराज अम्पायरों के समूह के सदस्यों में से एक ने यूपीसीए के अधिकारियों को चिटठी भेजकर जानकारी मांगी है कि यूपीसीपीएल में ऑल इंडिया लेबल के मैच के लिए अंपायर की ही पोस्टिंग की गयी है। उन्होंने संघ पर आरोप लगाया कि यूपीसीए कितने ऑल इंडिया टूर्नामेंट कराती है या करा चुकी है और ऑल इंडिया लेबल के कितने टूर्नामेंट में यू.पी.सी.ए. अपने अंपायर की पोस्टिंग क्ररती है। अगर ऐसा नही है तो ये बेस बनाना गलत है। अंपायरिंग कमेटी के अध्यक्ष महोदय से अनुरोध किया गया है कि इस पर विचार करें ताकि उनका भविष्य अन्धकार में न डूबे। बतातें चलें कि ग्रीनपार्क्र में आयोजित किए जाने वाले इस टी-टवेन्टी लीग मैचों के लिए लखनऊ और कानपुर के ठेकेदारों ने अपने निकटतम लोगों को पोस्टिंग या फिर नियुक्ति करवायी है जिससे उनका वर्चस्व कायम रहे। कुछ लोगों का यह भी आरोप है कि इन ठेकेदारों ने कमीशनखोरी के चलते प्रदेश के कई अम्पा्यरों का भविष्य चौपट करने का प्रयास किया जिसे सफल नही होने दिया जाएगा। इस बारे में यूपीसीए का कोई भी सदस्य कुछ भी बोलने को तैयार नही है।