
संवाददाता
कानपुर। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर ने हाल ही में दो दिवसीय विद्यार्थी विज्ञान मंथन कार्यक्रम का सफलतापूर्वक आयोजन किया। इस विज्ञान प्रतिभा खोज परीक्षा कार्यक्रम का उद्देश्य देशभर के कक्षा 6 से 11 तक के स्कूली छात्रों में वैज्ञानिक सोच की पहचान करके उसे प्रोत्साहित करना था।
इस कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्वलन से हुआ, जिसके बाद आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल ने सभी का स्वागत किया। अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने युवाओं के मन में वैज्ञानिक सोच विकसित करने के महत्व पर जोर दिया।
इस अवसर पर डॉ. शेखर सी. मांडे, पूर्व महानिदेशक – वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद, भारत सरकार, प्रो. आशुतोष शर्मा, अध्यक्ष,भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी और पूर्व सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार, विवेकानंद पाई, महासचिव, विज्ञान भारती, भारत सरकार, प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल, निदेशक, आईआईटी कानपुर और प्रो. जे. रामकुमार, नोडल अधिकारी एवं अधिष्ठाता संरचना और योजना, आईआईटी कानपुर ने भाग लिया।
प्रो. अशुतोष शर्मा ने अपने प्रेरणादायक भाषण में वैज्ञानिक जिज्ञासा के साथ-साथ आत्मविश्वास, आत्मसम्मान और हास्य भावना को विकसित करने के महत्व पर जोर डाला। वहीं, डॉ. शेखर सी. मांडे ने छात्रों को संबोधित करते हुए सर जगदीश चंद्र बोस के बारे में रोचक बातें साझा कीं और विज्ञान में बहुविषयक अनुसंधान के महत्व को रेखांकित किया।
कार्यक्रम में प्रो. जे. रामकुमार ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करना है। हम नई पीढ़ी को यह संदेश देना चाहते हैं कि वे केवल सर्वश्रेष्ठ की ओर न देखें, बल्कि उन लोगों की भी सराहना करें जिन्होंने सीमित संसाधनों में भी उत्कृष्टता प्राप्त की है।
कार्यक्रम में पुस्तक सत्येंद्र नाथ बोस, फादर ऑफ बोसॉन्स का विमोचन किया गया, जो महान भारतीय भौतिकविद को श्रद्धांजलि अर्पित करती है। यह पुस्तक विद्यार्थी विज्ञान मंथन के शैक्षणिक सत्र 2025-26 के पाठ्यक्रम का हिस्सा होगी। पुस्तक विमोचन के बाद प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल ने राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के बारे में जानकारी दी और बताया कि यह तकनीक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में कैसे बदलाव ला सकती है और भारत में नवाचार को कैसे आगे बढ़ा सकती है।
इस कार्यक्रम में छात्रों का मूल्यांकन एक समग्र दृष्टिकोण के तहत किया गया, जिसमें 10 विभिन्न आयामों को शामिल किया गया। इसमें प्रयोगों के माध्यम से अनुभवात्मक अधिगम, रचनात्मक सोच, संप्रेषण कौशल आदि शामिल थे। प्रतिभागियों के लिए कई समानांतर व्याख्यान आयोजित किए गए, जिनमें स्थिरता, भारतीय ज्ञान प्रणाली और नेशनल प्रोग्राम ऑन टेक्नोलॉजी एनहांस्ड लर्निंग जैसे विषयों पर चर्चा की गई।
डॉ. ब्रजेश पांडे, कार्यकारी निदेशक, आईएनएसए और वीवीएम ने छात्रों को आवश्यक दिशा-निर्देश और भविष्य की योजनाओं की जानकारी दी। इसके बाद छात्रों का मूल्यांकन किया गया, जो केवल लिखित परीक्षा के आधार पर नहीं, बल्कि एक समग्र दृष्टिकोण के तहत किया गया, जिसमें 10 विभिन्न आयामों को शामिल किया गया। इसमें प्रयोगों के माध्यम से अनुभवात्मक अधिगम, रचनात्मक सोच, संप्रेषण कौशल, पुनरावृत्ति का प्रदर्शन आदि शामिल थे।
प्रतिभागियों के लिए कई समानांतर व्याख्यान आयोजित किए गए, जिनमें स्थिरता, भारतीय ज्ञान प्रणाली, नेशनल प्रोग्राम ऑन टेक्नोलॉजी एनहांस्ड लर्निंग और साथी जैसे रोचक विषयों पर चर्चा की गई।
विद्यार्थी विज्ञान मंथन के दूसरे दिन की अध्यक्षता प्रो. अभय करंदीकर ने की, जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के सचिव हैं। उन्होंने बताया कि मिशन-आधारित पहलों और राष्ट्रीय शिक्षा नीति कैसे विज्ञान शिक्षा को बदल रही हैं। साथ ही उन्होंने छात्रों को याद दिलाया कि विज्ञान को क्यों समावेशी, साहसी और प्रश्नों से प्रेरित होना चाहिए।
इस कार्यक्रम में प्रो. सुनील मिश्रा, विज्ञान भारती के महासचिव और डॉ. अरविंद रानाडे, नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन के निदेशक सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद थे। उनकी उपस्थिति और प्रेरणादायक संदेशों ने प्रतिभागियों के विज्ञान और नवाचार के प्रति उत्साह को और बढ़ा दिया।
जो छात्र आईआईटी कानपुर कैंपस में आयोजित राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा में भाग लेकर आए थे, उन्होंने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि उन्हें आधुनिक अनुसंधान सुविधाओं का उपयोग करने और प्रसिद्ध वैज्ञानिकों से मिलने का विशेष अवसर मिला। उन्होंने अपने अनुभवों को बताते हुए अपना उत्साह और खुशी जाहिर की, जिसमें प्रयोग करने और दिलचस्प चर्चाओं में हिस्सा लेने जैसे पल शामिल थे।
कार्यक्रम का समापन एक भव्य पुरस्कार वितरण समारोह के साथ हुआ, जिसमें राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्रों को सम्मानित किया गया। यह समारोह न केवल उनकी मेहनत और समर्पण का प्रमाण है, बल्कि उन्हें विज्ञान की अद्भुत दुनिया में आगे की खोज के लिए प्रेरित भी करता है।