आज़ाद संवाददाता
कानपुर। टीबी का बैक्टीरिया अगर शरीर में आ जाए तो ये कई और अंगों को प्रभावित कर सकता है। इसमें महिलाओं के आतंरिक अंग भी शामिल हैं। ये महिलाओं में बांझपन का एक बड़ा कारण भी बन रहा हैं।
महिलाओं के गर्भवती न होने पर जब वह अस्पताल जाती हैं तो जांच कराने पर इस बीमारी का पता चलता है। बच्चेदानी की टीबी जननांग टीबी भी कहलाती है। जो प्रजनन तंत्र को प्रभावित कर महिलाओं को मां बनने से रोकती है।

कानपुर मेडिकल कॉलेज की स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की डॉ. अनीता गौतम ने बताया कि यह संक्रमण फैलोपियन ट्यूब और गर्भाशय को प्रभावित करता है। इसके अलावा पीरियड भी प्रभावित होते हैं। समय पर अगर इलाज शुरू कर दिया जाए तो इस बीमारी से मुक्ति पाई जा सकती है।
उन्होंने बताया कि जिन महिलाओं में मासिक धर्म प्रत्येक माह कम होता है या नहीं होता है तो यह बच्चेदानी की टीबी का संकेत हो सकता है। इस संक्रमण के सक्रिय होने पर महिलाओं का वजन तेजी से गिरता है और बुखार आता है। ये जेनेटिक भी हो सकता है।
उन्होंने बताया कि बच्चेदानी की आतंरिक परत में माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया का संक्रमण होता है। इससे गर्भाशय में सूजन के साथ-साथ गर्भधारण करने की क्षमता कम हो जाती है।
यह फेलोपियन ट्यूब को भी नुकसान पहुंचाती है। इससे अंडाणु को पकडना और शुक्राणु से मिल पाना मुश्किल हो जाता है। इससे गर्भधारण करने में दिक्कत होती है। इस बीमारी के बारे में महिलाओं को देरी से पता चल पाता है।
डॉ. अनीता गौतम बताती है कि हर 10 में से एक महिलाओं में ये समस्या देखने को मिलती हैं। सही समय पर महिलाएं टीबी का इलाज कराकर गर्भधारण कर सकती हैं। जिन महिलाओं का इलाज समय पर नहीं हो पाता है, वह मां बनने से वंचित रह सकती हैं।
जिन महिलाओं में मासिक धर्म में अनियमितता, मासिक धर्म का बंद होना व पेट में दर्द की समस्या होती है। महिलाओं का वजन कम होना, भूख न लगना ये मुख्य लक्षण होते हैं। इन महिलाओं की बच्चेदानी से एंडोमेट्रिरियम से मांस का छोटा सा टुकड़ा लेकर बायोप्सी की जांच के लिए भेजा जाता है। बायोप्सी की रिपोर्ट के आधार पर महिला का उपचार किया जाता है।