March 11, 2025

आ स. संवाददाता 
कानपुर।
  डॉक्टरों की परामर्श के बिना दवाओं का सेवन करना महिलाओं की जिंदगी को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा हैं। खासकर उन महिलाओं को दवा ज्यादा नुकसान कर रही हैं, जिनको गर्भधारण करना होता हैं।गर्भपात की  दवा का प्रयोग कब और किन परिस्थितियों में करना है, यह किसी को सही तरीके से नहीं मालूम होता है।
गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज की गायनी विभाग की प्रो. डॉ. शैली अग्रवाल ने बताया कि आज कल महिलाएं शादी के तुरंत बाद गर्भ हटाने के लिए गूगल का सहारा ले रही हैं और उसमें दवा देखकर उसका सेवन कर लेती हैं, जो बाद में उनको मां बनने से वंचित कर रहा हैं।
डॉ. शैली अग्रवाल ने बताया कि हमारे विभाग में एक रिसर्च की गई थी। इसमें करीब 750 महिलाओं को शामिल किया गया और ये रिसर्च करीब 2 साल तक चली। इसमें देखा गया कि जिन महिलाओं को गर्भधारण करना होता है उनको इस तरह की दिक्कत क्यो हो रही हैं।
इसमें सभी महिलाओं की हिस्ट्री खंगाली गई। इसमें एक बात सामने आई कि जिन महिलाओं ने गर्भ हटाने के लिए बिना डॉक्टर से पूछे दवाओं का सेवन किया है। उनको ये समस्या ज्यादा हुई है।
इन महिलाओं में ताउम्र बांझपन का खतरा बढ़ जाता है,
उन्होंने बताया कि इससे महिलाओं में ताउम्र बांझपन का खतरा भी बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि मातृत्व सुख से वंचित महिलाओं की जो केस हिस्ट्री तैयार की गई थी, उसमें गूगल से दवा खोजने की बात ज्यादातर में सामने आई है। 32 फीसदी महिलाओं में मां नहीं बन पाने की यही वजह निकली।
20 से 28 साल की उम्र वाली 240 महिलाओं में देखा गया कि इन्होंने गूगल पर गर्भ गिराने की दवा खुद ही खोजी और डॉक्टर की सलाह लिए बिना ही उसका सेवन किया है। शादी के तुरंत बाद मां नहीं बनने की चाह ने उनको बांझपन की स्थिति पर लाकर खड़ा कर दिया।
जब महिलाओं ने गर्भधारण करने का प्रयास किया तो उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके बाद डॉक्टर के पास परामर्श के लिए आना पड़ा। ऐसे में कई केसो में देखा गया कि गर्भ काफी कमजोर हो चुका था, और बच्चेदानी की जगह नली में आ गया था। ऐसे में सर्जरी की नौबत आ जाती है।
डॉ. शैली अग्रवाल ने बताया कि कई महिलाएं ऐसी भी थी जिन्होंने दवा का सेवन एक बार नहीं किया, बल्कि वे गर्भ गिराने के लिए हर तीसरे-चौथे महीने में इसका सेवन करती थी। बाद में उनकी हालत काफी गंभीर हो गई।