September 19, 2024

आउटसोर्सिंग को सेक्टर मजिस्ट्रेट बना किया अनुछेद का संघार

कानपुर। उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम में संविधान के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए खुद सुनील यादव ने नियमोँ को धता बता स्वयं, समय से पहले प्रोमोशन और निगम को खुद की व्यक्तिगत सम्पति समझ कर कई कार्यों के प्रभार जैसे अधिषासी अभियंता, एरिया मैनेजर, कार्मिक विभाग आदि का प्रभार खुद ही लेकर बैठ गया और सारी कार्यवाहियों को खुद अंजाम दे रहा था। जिसमे हर प्रभार में रहते हुए उसने अनगिनत घोटाले करते हुए विभागीय अनियमितताओं को अंजाम दिया है। इसके द्वारा किये हुए अनेकों घोटालों में एक घोटाले की शिकायत सेवानिवृत सहायक प्रबंधक मनोज शुक्ल के द्वारा राज्य सूचना आयोग में की गई। शिकायतों के आधार पर निगम में की गई जांच में सुनील यादव को दोषी पाया गया जिसमें लगभग 70 लाख की रिकवरी के लिए उसे प्रबंध निदेशक द्वारा मौखिक आदेशित किया गया था कि गबन करी गई  रकम को मंगल, बुध्द तक जमा करें। जो  अभी तक जमा नही हुई। पीड़ित संविदा कर्मियों का कहना है कि नियम ये है की यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी के ऊपर जांच में गबन का आरोप सिद्ध हो जाता है तो उसे तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है उसके बाद प्राथमिकी सूचना संबंधित थाने में दर्ज कराई जाती है, इसके  साथ ही रकम की वसूली की कार्यवाही भी की जाती है। लेकिन सुनील यादव के इस घटना को अंजाम दिए हुए सालो हो गए और जांच में दोषी सिद्ध होने के बावजूद वो बेखौफ घूम रहा है और अभी भी कई कार्यों का प्रभारी बना हुआ है जिनमे उसकी घटतौलियाँ जारी है। पीड़ित संविदा कर्मियों का कहना है हद तो ये है की इतना सब कुछ हो जाने के बाद भी निगम परिसर में गणेश मूर्ति स्थापना कार्यक्रम में एकत्रित कर्मचारियों से ये कहता फिर रहा था की एम डी साहब से बात हो गई है उन्होंने कहा है कि यह सब चलता रहता है तुम अपना काम करो। अपनी ही तर्ज पर चलते हुऐ सुनील यादव ने बहराइच में संसदीय चुनाव में चुनाव आयोग की नियमावली की धज्जियां उड़ाते हुऐ अपना नया नियम बना डाला जिसमें अपने ही द्वारा भर्ती किये गए अधीनस्थ सहायक अभियंता चंद्र प्रकाश त्रिवेदी आउटसोर्सिंग कर्मचारी को ही सेक्टर मजिस्ट्रेट के लिए अनुमोदित करके पत्रावली चुनाव आयोग को भेजी थी और शासन प्रशासन की आंखों में मिर्चा झोंक मजिस्ट्रेट बनवा दिया था। जबकि  संविधान के अनुछेद लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 159 (2) के अंतर्गत किसी भी गैर सहायता प्राप्त व्यक्तिगत संस्था के कर्मचारी को चुनाव डयूटी में नही शामिल किया जा सकता यदि विशेष परिस्थितयां हो तो अनुच्छेद 324 के खंड (4) के तहत नियुक्त क्षेत्रीय आयुक्त या राज्य का मुख्य निर्वाचन अधिकारी अनुरोध करता है, तो किसी भी रिटर्निंग अधिकारी को ऐसे कर्मचारी उपलब्ध कराए जाएं जिनकी जरूरत चुनावी प्रक्रिया के कर्तव्य को पूरा करने के लिए हो। पीड़ित संविदा कर्मियों का कहना है ये व्यक्ति लोकतंत्र के लिये खतरा है इसके ऊपर ऐसी कार्यवाही होनी चाहिए जो एक नज़ीर बने और ऐसे बहुआयामी भ्र्ष्टाचारी  के खिलाफ सख्त कार्यवाही होनी चाहिए।