July 1, 2025

संवाददाता 

कानपुर। यूपीसीए में व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच शासन चाहे तो किसी भी स्वतंत्र एजेंसी से करवा सकता है।  उत्तर प्रदेश का खेल विभाग प्रदेश के क्रिकेट एसोसिएशन में व्याप्त भ्रष्टाचार के लिए किसी भी प्रकार से जिम्मेदार नहीं है ।खेल विभाग में यूपीसीए के खिलाफ आई शिकायतों के जांच पर अनुमोदन करते हुए शीर्ष अधिकारियों ने इसकी संस्तुति कर दी है। खेल विभाग से शासन के लिए संस्तुति मिलते ही शिकायतकर्ता प्रभावी रूप से लामबंद हो गए हैं। बताते चलें कि प्रदेश के क्रिकेट एसोसिएशन के पदाधिकारियों की ओर से खिलाड़ियों के साथ दुर्व्यवहार समेत पैसों की वसूली की शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल पर ऑनलाइन की गई है।जिसकी आख्या खेल विभाग से मांगी गई थी।खेल विभाग ने अपनी ओर से खिलाड़ियों के हित में आख्या शासन के पास भेज दी है। मुख्यमंत्री ऑनलाइन जिसकी सन्दर्भ संख्या 60000250127729 (अंतरित) है। शिकायतकर्ता ने अवगत कराया है कि उत्तर प्रदेश में क्रिकेट एक जनांदोलन बन चुका है।  लाखों युवा हर वर्ष  बीसीसीआई व राज्य संघों द्वारा आयोजित क्रिकेट प्रतियोगिताओं में भाग लेने की आशा लिए मेहनत करते हैं, परन्तु अत्यन्त दुख ओर चिन्ता का विषय है कि  कुछ लोगों ने अपने फायदे के लिए उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन  को वर्षों से चल रही अविवेकपूर्ण, गुटबाज और भ्रष्ट कार्यप्रणाली के कारण प्रदेश की प्रतिभा को कुचलने वाली संस्था बना दिया गया है। 

शिकायतकर्ता ने  लिखा है कि पूर्व सचिव राजीव शुक्ला  संस्थागत सत्ता का निजी लाभ प्राप्त कर रहे हैं, साथ ही यूपीसीए पर उनका सीधा नियंत्रण रहा, लेकिन उन्होंने उत्तर प्रदेश को न तो  आईपीएल दिलाई, न क्रिकेट अकादमी का विस्तार कराया और न ही राष्ट्रीय स्तर पर खलाडियों का प्रतिनिधित्व बढ़ा सके। लखनऊ और कानपुर को छोड़कर प्रदेश के अन्य क्षेत्रों से कोई स्थायी अकादमी, स्टेडियम या किसी अवसर पर नहीं पहुंचे। यूपीसीए की आंतरिक चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव बना रहा, यह बात गूगल व मीडिया रिपोर्टस से भी प्रमाणित होती है। गूगल पर सर्च करने राजीव शुक्ला पर यूपीसीए में भ्रष्टाचार पर कई रिपोर्ट उपलब्ध है। जिसमें चयन घोटाले कई खिलाडियों ने सोशल मीडिया पर अपनी बात कही है। उनके पीआरओ अकरम सैफी की कथित अपराधिक भूमिका और संरक्षण जाँच का विषय है।  राजीव शुक्ला के बेहद करीची व निजी सहायक अकरम सैफी पर अनेक न्यूज चैनेल्स, आर्टिकल्स व सोशल मीडिया पोस्ट्स में गंभीर आरोप लगाए गए हैं। जैसे चयन में भ्रष्टाचार, खिलाडियों से चयन के नाम पर पैसे वसूलना, जिसका जिक्र कई स्थानीय पत्रकारों व खिलाडियों ने किया है। टिकट घोटाला, अन्तर्राष्ट्रीय मैचों के टिकटों को ब्लैक में बेचना, कुछ यू ट्यूब  वीडियों  में दिखाया गया है। यूपीसीए का केवल अपने वफादार लोगों को चयन व पदों पर नियुक्त कर संस्था को पारिवारिक सम्राज्य बना देना।  कुछ महिला कोच व सपोर्ट स्टाफ ने अकरम सैफी पर अनुचित व्यवहार के आरोप लगाए हैं। 

यद्यपि आधिकारिक रिपोर्ट नहीं हुई पर सोशल मीडिया गवाह है। उत्तर प्रदेश के प्रतिभावान खिलाडियों का मनोबल टूट चुका है।  कई होनहार के भ्रष्ट सिस्ट्म से तंग आकर खेल छोड़ चुके हैं। यूपीसीए के घोटालों को लेकर कई बार राष्ट्रीय मीडिया व सोशल मीडिया पर हंगामा हुआ है। युवाओं का भविष्य अधर में है, न कोई स्काउटिंग, न अकादमी सिस्ट्‌म और न ही कोई उचित लीग संरचना विकसित हुई। 

प्रमाण स्वरूप वीडियो व लेखों के उदाहरण  राजीव शुक्ला और  अकरम सैफी की सांठगांठ का भी प्रमाण पेश किया गया है। अकरम सैफी के खिलाफ शिकायतों पर एफआईआर दर्ज कर विधिक कार्यवाही की जाए व राज्य के हर मण्डल में क्रिकेट अकादमी, टूर्नामेन्ट्स व चयन प्रणाली स्थापित की जाय, यह अनुरोध किया गया है।

इस संबंध में अवगत कराना है कि प्रश्नगत प्रकरण में राज्य के हर मण्डल में क्रिकेट अकादमी, टूर्नामेन्ट्स व चयन प्रणाली स्थापित की जाय। 

अवगत कराना है कि प्रदेश में खेल विभाग के अधीन कानपुर, मेरठ, फतेहपुर, देवरिया एवं मैनपुरी में क्रिकेट खेल में आवासीय क्रीडा छात्रावास संचालित है। उक्त छात्रावासों में 25-25 खिलाडियों की संख्या स्वीकृत है। इस प्रकार कुल 125 खिलाडियों को छात्रावास में प्रशिक्षण प्रदान किये जाने के साथ ही खिलाडियों को रु. 375/- प्रतिदिन प्रति खिलाडियों की दर से भोजन के अतिरिक्त आवास, शिक्षा, किट, खेल उपकरण आदि निःशुल्क प्रदान की जाती हैं, इसके साथ ही स्पोर्टस कालेज, लखनऊ व इटावा (सैफई) में भी क्रिकेट खेल में क्रमशः 60 एवं 70 खिलाडियों के प्रशिक्षित किये जाने की व्यवस्था है। इसके अतिरिक्त प्रदेश के विभिन्न जनपदीय,मण्डलीय कार्यालयों पर तैनात विभागीय, अंशकालिक मानदेय प्रशिक्षकों द्वारा कुल 32 क्रिकेट के प्रशिक्षण शिविर संचालित किये जा रहे हैं।

राजीव शुक्ला और अकरम सैफी की भूमिकाओं की स्वतंत्र जांच कराई जाए। अकरम सेफी के खिलाफ शिकायतों पर एफआईआर दर्ज कर विधिक कार्यवाही किये जाने का प्रश्न है इस सम्बन्ध में उच्च स्तर पर निर्णय लिया जाना उचित प्रतीत हो रहा है।

उल्‌लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन शासन की निर्धारित गाइड लाइन्स को स्वीकार करने वाले मान्यता, सम्बद्धता प्राप्त खेल निदेशालय की प्रदेशीय खेल संघों की सूची में सम्मिलित नहीं है।इन सब शिकायतों पर विशेष ध्यान देते हुए खेल विभाग में अपनी ओर से शासन को यह जानकारी उपलब्ध करा दी है।  खेल विभाग के अधिकारी ने बताया कि क्रिकेट भी खेल विभाग के अंतर्गत ही आता है। इसलिए जांच का अधिकार संस्था के पास था उन्होंने अपनी आख्या शासन के पास भेज दी है और यह अनुमोदन किया है कि जांच किसी तीसरी या स्वतंत्र एजेंसी से कराकर संस्थान के खिलाफ कार्यवाही की जा सकती है।