December 7, 2025

संवाददाता
कानपुर। 
नरवल तहसील स्थित हृदयखेड़ा गांव में दीपावली के बाद दिवारी नृत्य का आयोजन किया गया। ग्रामीणों ने इस पारंपरिक उत्सव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
सुबह से ही ग्रामीण पारंपरिक परिधानों में सजे हुए थे। ढोल-नगाड़ों की थाप पर बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं सहित सभी ने नृत्य किया। उन्होंने पारंपरिक वेशभूषा में दिवारी गीत गाते हुए अपनी वीरता और संस्कृति का प्रदर्शन किया। स्थानीय निवासी प्रवीण कुमार ने बताया कि गांव में दिवारी खेलने की यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है।
इस अवसर पर गांव में एक ऐतिहासिक मेले का भी आयोजन होता है, जहां महिलाएं घरेलू सामान खरीदती हैं और बच्चे मेले का आनंद लेते हैं।  

प्रवीण कुमार ने आगे बताया कि दिवारी नृत्य युद्ध या मार्शल आर्ट जैसा प्रतीत होता है। इसमें लाठियों को हवा में घुमाना और एक-दूसरे पर वार-पलटवार करना इसकी खास शैली है।

उन्होंने बताया कि यह नृत्य भगवान श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति, गौरव, शौर्य और आत्मरक्षा का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की थी, तब उनकी खुशी में ग्वालों ने हाथों में लाठियां लेकर यह नृत्य किया था। 

इस अवसर पर सैकड़ों ग्रामीण मौजूद रहे।