आ स. संवाददाता
कानपुर। एक ओर प्रदेश और केन्द्र सरकारें पर्यावरण को संतुलित रखने ,पेड और पौधों को संरक्षित करने के लिए विभिन्न प्रकार की तमाम योजनाओं पर अमल करवाने के प्रयास में लगी रहती है तो वहीं सिटी को स्मार्ट बनाने के नाम पर हजारों पेड़ों की बलि चढ़ाने में निर्माण इकाइयां कतई भी रहम नही करती दिखायी देती हैं। प्रदेश के विकासशील शहरों में शामिल कानपुर महानगर में स्मार्ट सिटी योजना के तहत कई स्थानों पर पेडों की खूब कटायी की गयी लेकिन उसके स्थान पर पौधे रोपने का काम कहीं भी दिखायी नही पडा। यही नही विभागों की ओर से जारी पेड़ कटाई के आंकड़ों में जमीन आसमान का अंतर भी साफ तौर दिखायी देता है। नगर में कहीं मेट्रो निर्माण के कार्य में हजारों पेडों को उनके वजूद से नकार दिया गया तो कहीं खेलों के लिए बनाए गए निजी क्लब स्टेडियम के लिए पेडों की बलि चढा दी गयी। पर्यावरण संरक्षण को लेकर भी कानपुर नगर निगम गंभीर है।कानपुर स्मार्ट सिटी ने पिछले चार सालों में हजारों पेड़ काट डाले हैं लेकिन लिखा पढी में उसकी संख्या केवल सैकडों से भी कम ही दर्शायी गयी है। जन सूचना के आधार पर स्मार्ट सिटी योजना के तहत पेड काटे जाने की संख्या हजारों में पायी गयी है। शहर का वन विभाग और नगर निगम हर साल पेड़ों के मेंटीनेंस के लिए लाखों रुपए खर्च करता है. वहीं, मेट्रो के निर्माण कार्य में बाधा बन रहे पेडों को जमीन से उखाड फेंका गया। नगर निगम ने अभी तक इसमें किसी प्रकार की कार्यवाई नही की या तो फिर पेड़ तो काटे गए लेकिन उनके एवज में लगाए गए पौधों के संरक्षण के लिए फिलहाल कोई राशि नहीं ली गई। बतातें चलें कि एक ओर सरकार दावा कर रही है कि प्रदेश में रोज हजारों पौधे लगाए जा रहे हैं, लेकिन कानपुर स्मार्ट सिटी में हजारों पेड़ बलि चढ गए। नगर में विकास के नाम पर पेड़ों की जमकर कटाई की जा चुकी है। कभी नगर निगम स्टेडियम के नाम से प्रसिद्ध पालिका स्टेडियम में उसके किनारे लगे दो तरफ के लगभग सैकडों पेडों को स्मार्ट सिटी स्टेेडियम के लिए उपयुक्त नही माना गया और उनकी बलि चढा दी गयी तो वहीं पालीटेक्निक और रावतपुर के अलावा यशोदा नगर की जमीन पर मेट्रो स्टेशन और डिपो बनाने के लिए हजार से ज्यादा पेड़ों को काट दिया गया।. सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसकी शिकायत भी की. लेकिन अधिकारियों के मुताबिक विकास के चलते पेड़ों को काटना पड़ रहा है।