आ स. संवाददाता
कानपुर। भाजपा के संगठन चुनाव के दूसरे चरण में मंडल अध्यक्षों के निर्वाचन में घमासान मचा हुआ है। प्रदेश पदाधिकारियों ने खानापूर्ति कर मंडल अध्यक्षों का पैनल तैयार कर लाए जिलाध्यक्ष, क्षेत्रीय अध्यक्ष और चुनाव पर्यवेक्षकों को वापस लौटा दिया है। साथ ही जातिवाद के आरोप के चलते कानपुर नगर के चुनाव पर्यवेक्षक सतीश द्विवेदी की जगह नए पर्यवेक्षक की तैनाती करने की तैयारी चल रही है।
भाजपा के प्रदेश चुनाव प्रभारी महेंद्रनाथ पांडेय, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने कानपुर क्षेत्र के मंडल अध्यक्षों के पैनल पर मंथन किया था। चुनाव के लिए जिलों में तैनात पर्यवेक्षकों ने पैनल प्रस्तुत किया था। पैनल में दिए गए नामो के आगे सांसद, विधायक, मंत्री और प्रदेश पदाधिकारीयों की सिफारिश का जिक्र था।
महेंद्रनाथ पांडेय ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जिसने भी सिफारिश की है, उसके हस्ताक्षर कराकर लाइये। उन्होंने कहा कि पैनल पर जिलाध्यक्ष, जिला प्रभारी, स्थानीय सांसद, स्थानीय विधायक, स्थानीय महापौर या चेयरमैन, जिला पंचायत अध्यक्ष की भी लिखित सहमति लेकर आएं।
सूत्रों के मुताबिक कानपुर और पश्चिम क्षेत्र के मंडल अध्यक्षों के पैनल पर मंथन होना था। लेकिन एक-एक मंडल अध्यक्ष पर गहरा मंथन होने के कारण देर रात तक काम पूरा नहीं हो सका।
सूत्रों के मुताबिक कानपुर देहात में चुनाव पर्यवेक्षक और जिला प्रभारी एक ही जाति से होने के कारण पैनल निर्धारण में जातिवाद की शिकायत प्रदेश मुख्यालय तक पहुंची है। चुनाव प्रभारी और महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह नए पर्यवेक्षक भेजने पर विचार कर रहे है।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि नए मंडल अध्यक्ष ही 2026 के पंचायत चुनाव और 2027 में विधानसभा चुनाव कराएंगे। ऐसे में सभी विधायक और टिकट के दावेदार अपने करीबी कार्यकर्ता को ही मंडल अध्यक्ष बनवाने में लगे हैं, ताकि चुनाव में उनके हिसाब से काम हो सके। मंडल अध्यक्ष पद के लिए लखनऊ से दिल्ली तक बड़े नेताओं और मंत्रियों से सिफारिश कराई जा रही है।
भाजपा के एक पदाधिकारी ने बताया कि 21 दिसंबर तक भाजपा के 1819 मंडलों में मंडल अध्यक्षो के नाम तय कर लिए जाएंगे। 25 दिसंबर तक नए मंडल अध्यक्षो की घोषणा होगी। पार्टी करीब 50 फीसदी से अधिक नए मंडल अध्यक्ष नियुक्त करने की तैयारी कर रही है।