
आ स. संवाददाता
कानपुर। सरसौल स्थित मां महाकाली का प्राचीन मंदिर करीब 500 वर्षों से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। मंदिर के पुजारी संतोष शुक्ल के अनुसार इस मंदिर का इतिहास बेहद प्राचीन और पौराणिक है। मंदिर में विराजमान शिल्पकारी से तैयार मूर्ति की स्थापना अहिल्याबाई होल्कर ने करवाई थी। शुरुआत में यहां एक छोटे मठ में मां की पूजा होती थी। बाद में ग्रामीणों के सहयोग से इस मंदिर का विस्तार हुआ। इतिहासकारों के अनुसार मुगल शासक औरंगजेब ने एक समय इस मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया था।
स्थानीय श्रद्धालु सुरेश वर्मा बताते हैं कि मां काली को यहां ग्राम देवी के रूप में पूजा जाता है। कई लोग इन्हें अपनी कुलदेवी भी मानते हैं। मंदिर में मुंडन और छेदन जैसे संस्कार भी किए जाते हैं।
इस मंदिर परिसर में एक औषधीय बगीचा है, जहां से ग्रामीण पौधों से मिलने वाली दवाई का उपयोग करते हैं। आम, नीम, केला, जामुन जैसे विभिन्न वृक्ष मंदिर की शोभा बढ़ाते हैं। यहां एक कृत्रिम तालाब भी है, जहां मूर्ति विसर्जन किया जाता है।
महाकाली मंदिर समिति 4 अप्रैल को विशाल धनुष यज्ञ और कन्या भोज का आयोजन कर रहा है। इस कार्यक्रम में सभी ग्रामवासियों और क्षेत्रवासियों को आमंत्रित किया गया है।