
आ स. संवाददाता
कानपुर। बढ़े हाउस टैक्स व नामांतरण शुल्क सहित नगर के सभी ज्वलंत मुद्दों को आर्य नगर विधायक अमिताभ बाजपेई ने सदन में उठाया। सपा विधायक ने शायराना अंदाज में तंज कसते हुए कहा कि सड़कों पर गड्ढे हैं, गलियों में अंधेरा है… फिर भी कहे कि शहर बन रहा सुनहरा है… कागजों पर बहारें, जमीन पर धूल, बताइए कैसे खिला विकास का फूल…
अमिताभ ने बढ़े हाउस टैक्स के विरोध में कहा कि पहले नगर निगम थोड़ा हाउस टैक्स लेकर ज्यादा सुविधाएं देता था। स्वास्थ्य, शिक्षा, सफाई, पेयजल, सड़के, पार्क, सीवर, बारातशाला की सुविधाएं देता था। अब हाउस टैक्स में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है, लेकिन सुविधाएं शून्य होती जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि नगर निगम से स्वास्थ्य सेवाए पूरी तरह से समाप्त हो गई, शिक्षा के क्षेत्र में बस कुछ इंटर कॉलेज ही नगर निगम में बचे हुए हैं। बारात शालाओं के हाल बुरे हैं, जिन मकानों में कोई भी बदलाव नहीं हुआ है, उनका भी हाउस टैक्स मनमाने ढंग से बढ़ाया गया है। जीआईएस सर्वे में भी भारी खामियां हुई, उन्होंने कहा कि बढ़ा हुआ हाउस टैक्स 2 साल पहले से वसूला जा रहा है।
नामांतरण शुल्क का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा कि कानपुर में 1 प्रतिशत नामांतरण शुल्क लिया जा रहा है, जो पूरे प्रदेश में कहीं भी नहीं लिया जाता। उन्होंने नामांतरण शुल्क को समाप्त करने की सदन में मांग की। स्मार्ट सिटी की योजनाओं के बारे में अमिताभ ने कहा कि 9800 करोड़ रुपए खर्च कर स्मार्ट सिटी बनाने का दावा किया जा रहा है, लेकिन स्मार्ट सिटी की योजनाएं जनोपयोगी नहीं बनाई गई है।
स्मार्ट सिटी की योजनाओं के बारे में किसी भी जनप्रतिनिधि से कोई राय नहीं ली गई, गाइडलाइन के तहत काम करने के बजाए अधिकारियों ने अपनी मनमर्जी की। फूलबाग मैदान में 11 करोड़ से बने पैदल पार्क पुल पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि आज तक उस पुल का कोई उपयोग नहीं हुआ है।
कन्वेंशन सेंटर कई सालों से बन नहीं पाया। पुराने भवनों के संरक्षण का मुद्दा उठाते हुए कहा कि लाल इमली, कोतवाली में बिल्डिंगो को बाहर से फसाड लाइटें लगा कर चकाचौंध तो कर दी गई, लेकिन ये भवन अंदर से पूरी तरह से जर्जर हैं। 5 हजार करोड़ स्मार्ट सिटी के तहत लिए गए। उन्होंने कहा कि इससे धन की बर्बादी हो रही है। स्मार्ट सिटी का बजट भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है।
नमामि गंगे योजना पर सवाल उठाते हुए अमिताभ ने कहा कि गंगा को साफ करने के लिए सीवेज और ड्रेनेज को अलग अलग करने का काम किया गया। नई लाइनें डाली गई, लेकिन सीवेज व ड्रेनेज योजना फेल हो गई, इस पर सही ढंग से काम करने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री की महात्वाकांक्षी योजना सीसामऊ नाले को टेप किया गया है, लेकिन पानी का लोड बढ़ने पर सीवर बैकफ्लो होकर सिविल लाइंस व सीसामऊ के कई हिस्सों में भर जाता है। जिससे सिविल लाइंस आज सीवर लाइंस बन गया है।
नगर में 2008 में जेएनयूआरएम योजना पेयजल के लिए लागू की गई, जो आज तक पूरी नहीं हो पाई है। कई जेडपीएस ऐसे हैं, जो अब तक पूरे नहीं हो पाए। लीकेज हैं, मोटर रखरखाव के अभाव के कारण खराब हैं। पंप आपरेटरों की सैलरी भी कई महीनों तक नहीं मिल पा रही हैं।