December 27, 2025

संवाददाता 

कानपुर। सड़क हादसे में बेटे की मौत से दुखी माँ लक्ष्मी ने रोते हुए बताया कि मेरे घर में पहली बार ऐसा कांड हुआ है, मेरा बच्चा सही सलामत घर से गया था, अब उसकी हडि्डयां घर आ रही है… हम तो उसका अंतिम संस्कार भी नहीं कर पाएंगे। मेरे बच्चे के साथ ऐसा नहीं हो सकता है। भगवान से बहुत दुआ मांगी, मेरा कोई भगवान हीं है… मेरा बेटा मेरा सहारा था, उसका छोटा सा परिवार था, जो कोहरे ने उजाड़ दिया। उन लोगों ने इटावा में बस रोक दी होती तो ऐसा कांड नहीं होता… वहां प्रशासन ने बहुत ढील बरती। हम अपने सीएम भाई योगी आदित्यनाथ से कहना चाहते है कि अपनी बहनों, बहू, बेटियों की रक्षा करें…मेरा बच्चा मर नहीं सकता, सुबह 3 बजे हादसा हुआ और 9 बजे तक मेरे बेटे के मोबाइल पर कॉल जाती रही। उसका मोबाइल सर्विलांस पर लगा कर ढूंढा जाए।
यह पुकार थी दादानगर सेवाग्राम कॉलोनी में रहने वाली लक्ष्मी श्रीवास्तव की। जिनका बड़ा बेटा बीते एक सप्ताह पहले यमुना एक्सप्रेस–वे पर हुए हादसे के बाद से लापता था।
मृतक अनुज पत्नी ज्योति, बेटी आराध्या व बेटे रुद्र के साथ रहते थे। अनुज का इवेंट एंड डेकोरेशन का कारोबार था। वहीं अनुज के छोटे भाई शुभम मथुरा में आई ग्लासेस का काम करते हैं।
अनुज लेबर कालोनी निवासी अपने साथी सोनू वर्मा के साथ बीते 15 दिसंबर की रात करीब साढ़े नौ बजे विजय नगर चौराहा से शताब्दी की बस पर बैठ कर दिल्ली जाने के लिए निकले थे, जिसके बाद वापस नहीं आए।  

मथुरा प्रशासन से अनुज की पत्नी ज्योति के पास फोन आया कि, हादसे में जो कंकाल मिले है, उनकी डीएनए जांच में एक सैंपल अनुज से मैच हुए हैं। जिसके बाद ज्योति चीखते हुए बेहोश हो गईं और पूरे घर में कोहराम मच गया।

पूरा परिवार अनुज के कंकाल को लेने के लिए मथुरा रवाना हो गया, मौत की जानकारी होते ही दूर–दराज से लोग सांत्वाना देने के लिए पहुंचने लगे। बेटे की मौत से मां लक्ष्मी श्रीवास्तव सदमे में चली गईं। उन्होंने बताया कि आखिरी बार मेरे बेटे अनुज की बहू से इटावा पहुंचने पर बात हुई थी। गाड़ी इटावा में एक ढाबे में खड़ी हुई थी। बेटे ने बताया कि कोहरा बहुत है, हम और सनी चाय, नाश्ता कर रहे है। बेटे ने आखिरी वीडियो भी बहू के पास भेजा था।
प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि हाईवे पर जिस जगह एक्सीडेंट हुआ, वहां लाइट की कोई व्यवस्था नही थी। प्रशासन को गाड़ियों से आगे बढ़ने से रोकना चाहिए था। बताया कि एक्सीडेंट के बाद जब बेटी ने जिंदा बचे हुए लोगों की लिस्ट भेजी, तो मैने गल्ला मंडी में रहने वाले एक युवक को फोन किया, तो उसने बताया कि जब एक्सीडेंट हुआ था, तो बसों के दरवाजे पूरी तरह बंद हो गए, सभी यात्री खिड़की का शीशा तोड़ कर कूदे थे, जब वह लोग कूद सकते हैं, तो क्या मेरा बेटा नहीं कूद सकता। जब गाड़ियों में आग लगी थी, तो क्या मेरा बेटा निकला नहीं होगा क्या? किसी ने उसे बचाया नहीं होगा ? वहां के लोगों ने बचाया तो होगा, इतनी बॉडी जो मिली है, वो ज्यादातर आगे वाली गाड़ियों की है… मेरा दिल नहीं कह रहा कि बच्चा मेरा जलकर मर गया।
हादसे के बारे में सुनकर मैं मथुरा पहुंची तो वहां कोई व्यवस्था नहीं थी, हमारी कोई मदद नहीं की गई। उन्होंने बिलखते हुए कहा कि मेरा लाल अभी जिंदा है। कानपुर में दोबारा डीएनए टेस्ट हो, तभी यकीन होगा। 

अनुज की बेटी आराध्या ने कहा कि पापा से आखिरी बार बस में बैठने के बाद बात हुई थी। उन्होंने कहा था कि अच्छे से पढ़ाई करना तो बर्थडे के लिए अच्छा सा गिफ्ट लाएंगे।
बता दें कि अनुज डेकोरेशन का सामान लेने के लिए दिल्ली जाते थे। वह 15 दिसंबर को साथी सोनू वर्मा के साथ दिल्ली गए थे। हालांकि देर रात कई गाड़ियों में आपस में भिड़ंत होने से दर्दनाक हादसा हो गया था। इस दौरान घायल अवस्था में सोनू ने अनुज के घर पर सूचना दी थी, लेकिन अनुज का कुछ पता नहीं चल पा रहा था।
वहां के स्थानीय प्रशासन ने परिजनों का डीएनए सैंपल लिया। डीएनए रिपोर्ट के आधार पर जले हुए एक शव की पहचान अनुज के रूप में होने की जानकारी प्रशासन ने परिजनों को दी। 

Related News