January 10, 2025

आ स. संवाददाता 

कानपुर।  उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के भीतर लगभग दो दशक पहले तक कथित तौर पर डब्लू-डब्लू-डब्लू यानी महिला, धन और शराब की संस्कृति को पीछे धकेलकर क्षेत्र, भाई-भतीजावाद और पक्षपात ने अपनी जडें तैयार कर ली है। जिसके चलते यह माना जा रहा है कि तभी से घरेलू क्रिकेट में प्रदेश की टीमों का खराब प्रदर्शन मूल कारणों में शामिल हो गया है। यही नही कथित तौर पर इस नई संस्कृति ने बाहरी लोगों के लिए द्वार खोल दिए, जिसमें केवल पैसे देने के बाद ही खेलना, और पूर्व सचिव के जिले और उसके पड़ोसी जिलों से एक निश्चित अकादमी से सभी आयु वर्गों के क्रिकेटरों का चयन, और सबसे बढ़कर यूपीसीए के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा इस संस्कृति का संरक्षण, जो मानते हैं कि केवल उसी क्षेत्र के क्रिकेटर उत्तर प्रदेश क्रिकेट के लिए प्रतिभाशाली हैं बाकी अन्य जिलों के नही। बीते कुछ समय पूर्व से देखा जाए तो पुरुष क्रिकेट की सभी आयु वर्ग की टीमों के अधिकतर  खिलाड़ी मेरठ की एक ही अकादमी से जुड़े हैं। अगर कुछ क्रिकेटरों की मानें तो अगर उन्हें वाकई घरेलू क्रिकेट में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करना है तो उन्हें इस अकादमी में पैसे देकर खेलने के लिए मजबूर होना पड़ता है। 

प्रदेश के एक पश्चिमी शहर के एक युवा खिलाड़ी के अनुसार अगर किसी खिलाडी को घरेलू चैंपियनशिप में उत्तर प्रदेश के लिए खेलना हो तो उसे पहले मेरठ की उस अकादमी का हिस्सा  होना पडेगा। यदि खिलाडी उसमें शामिल नही होता तो प्रदेश स्तरीय चयन प्रक्रिया में भी शिरकत करने के योग्य नही माना जाएगा।फिर भले ही उसने जिला स्तरीय चयन प्रक्रिया में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया हो। कुछ खिलाडियों का यह भी मानना है कि पूर्व सचिव ने अपना प्रभुत्व दिखाते हुए अपने निजी वाहन चालक के बेटे को बिना किसी चयन प्रक्रिया के ही प्रदेश की टीम में शामिल करवाने में कोई कोर कसर नही छोडी थी। यदि देखा जाए तो वास्तव में प्रदेश में कई ऐसे क्रिकेटर हैं  जो ऐसी मुश्किल स्थिति का सामना कर रहे हैं, कई अन्य लोग तथाकथित मेरठ गैंग के आदेशों का पालन करने में विफल होने के बाद अन्य राज्यों में पलायन कर चुके हैं। 

प्रदेश के एक पूर्व क्रिकेटर ने बताया कि यदि क्षेत्रवाद, भाई-भतीजावाद और पक्षपात की यह संस्कृति भविष्य में भी जारी रही तो उत्तर प्रदेश क्रिकेट कभी भी घरेलू चैंपियनशिप में शीर्ष पर नहीं पहुंच पाएगा। मौजूदा घरेलू प्रतियोगिताओं में आयु वर्ग की टीमों में भी कई बाहरी खिलाड़ियों और ज़्यादातर मेरठ के लड़कों को देख सकते हैं। सूत्रों के अनुसार कई क्रिकेटरों ने यह भी दावा किया है कि यूपीटी-20 लीग के एक शीर्ष अधिकारी का भतीजा भी यूपी टीम का हिस्सा है और वह भी बिना किसी प्रदर्शन के। यूपीसीए के कई लोगों का मानना है कि इस मेरठ गैंग ने क्रिकेट संस्था में संपूर्ण चयन और अन्य प्रणालियों को अपने कब्जे में ले लिया है और यहां तक कि यूपीसीए के पूर्व सचिव राजीव शुक्ला की सकारात्मक सलाह पर भी विचार नहीं किया, जो 2005 में संकट के समय इस खेल संस्था को बचाने और प्रणाली में व्यावसायिकता लाने में सबसे बड़ी ताकत रहे हैं। 

यूपीसीए के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया मेरठ का एक व्यक्ति एक कैटरिंग कंपनी के पूर्व कर्मचारी के साथ मिलीभगत करके सारा काम चला रहा है, जिसमें टीमों का चयन, टीमों के सहयोगी स्टाफ की नियुक्ति आदि शामिल है। यूपीसीए सचिव अरविंद श्रीवास्तव भी सीनियर टीमों के प्रदर्शन को असंतोषजनक मानते हैं और कहते हैं कि फरवरी में घरेलू सत्र के अंत में इसका विश्लेषण किया जाएगा। उन्होंने कहा यूपीसीए अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहा है, लेकिन अधिकारी क्रिकेट नहीं खेल सकते। यह क्रिकेटरों का काम है और उन्हें अच्छा प्रदर्शन करना होगा। निश्चित रूप से प्रदर्शन संतोषजनक नहीं है और हम इस पर जल्द ही चर्चा कर पनप रही इस संस्कृति का खात्मा कर नयी यूपीसीए खडी करेंगे।