आ स. संवाददाता
कानपुर। प्रदेश की बड़ी फैक्ट्रीयों में शुमार फर्टिलाइजर फैक्ट्री को बंद कर दिया गया है। दिवालिया हो चुके जेपी ग्रुप का यह फर्टिलाइजर कारखाना बंदी की कगार पर है।कानपुर फर्टिलाइजर एंड केमिकल्स लिमिटेड फैक्ट्री के मालिकों ने आखिरकार तालाबंदी की घोषणा कर दी है। बंदी का नोटिस भी लगा दिया गया है।
बंदी के बाद से प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से फैक्ट्री से जुड़े करीब 2 हजार लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। अचानक हुई तालाबंदी से श्रमिक संगठन भी विरोध में आ गए हैं।
बंदी को लेकर फर्टिलाइजर कारखाने के श्रम अधिकारी प्रदीप चतुर्वेदी ने बताया कि फैक्ट्री बंदी की घोषणा कर दी गई है। कंपनी के सीईओ आलोक गौड़ ने मीटिंग कर बंदी की घोषणा करते हुए कहा कि सरकार ने कोई सहयोग नहीं दिया है। खाद पर सब्सिडी का भुगतान बंद होने से फाइनेंस का संकट खड़ा हो गया है । 18 दिसंबर से काम बंद चल रहा है।
केएफसीएल जेपी एसोसिएट्स ग्रुप की उत्तर भारत विकास प्राइवेट लिमिटेड की सहायक कंपनी है। जेपी एसोसिएट्स की सीमेंट, एक्सप्रेसवे, इंफ्रास्ट्रक्चर, स्पोर्ट्स संबंधी बिजनेस, फर्टिलाइजर, उड्डयन, कृषि एवं अन्य कारोबारी सहायक कंपनियां हैं, जिन्हें दिवालिया घोषित किया गया है। जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड पर बैंकों की अरबों रूपये की देनदारी है।
फैक्ट्री कर्मचारियों के नेता और एटक के जिला मंत्री असित सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि दिसंबर माह से ही स्थितियां विकट हो गई थी। लेकिन यूनियन के दबाव में मालिकों ने कर्मचारियों को दो जनवरी को मिलने वाले दिसंबर माह का वेतन 14 जनवरी को भुगतान कर दिया था। कंपनी सभी कर्मचारियों को उनके बकाया वेतन का भुगतान करेगी।
असित सिंह ने बताया कि चांद छाप यूरिया खाद का उत्पादन करने वाले कानपुर फर्टिलाइजर को झटका पर झटका मिलता रहा। इंडियन केमिकल इंडस्ट्रीज द्वारा 1970 में स्थापित यह रसायनिक खाद का कारखाना आईईएल व फिर आइसीआई के नाम से जाना जाता रहा। इसे 1993 में जीपी गोयनका के डंकन ग्रुप ने खरीद लिया। घाटा बर्दाश्त न कर पाने के कारण 6 जून 2010 को इसे जेपी ग्रुप ने खरीद लिया था।
इसका स्वामित्व जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड के पास था, बाद में जेपीएएल की सहायक कंपनी उत्तर भारत विकास लिमिटेड की इकाई का यह कारखाना बन गया। जेपी ग्रुप के दिवालिया होने का असर इस पर भी पड़ा। अंजाम ये हुआ कि इस फैक्ट्री को बंद करना पड़ रहा है।