December 7, 2025

संवाददाता

कानपुर। फर्जी जज बनकर युवतियों से ठगी करने वाले शातिर ठग विष्णु शंकर गुप्ता ने अपराध कबूल करते हुए कहा कि मैं ग्रेजुएशन के बाद बेरोजगार था। मैंने स्पेशल-26 और ब्लफ मास्टर जैसी मूवी देख रखी थीं। इससे मेरे दिमाग में फ्रॉड करने का आइडिया आया। मैंने सोचा अब जज बनूंगा। ऐसे मैं पकड़ा नहीं जाऊंगा। पुलिस भी कार्रवाई से बचेगी। सिर्फ लड़कियों को निशाना बनाऊंगा, क्योंकि लड़कियां सिर्फ पावर और पैसा देखती हैं।

विष्णु शंकर को 15 सितंबर को नवाबगंज स्थित घर से अरेस्ट किया गया था। उसकी पत्नी आयुषी को भी गिरफ्तार किया गया था। घर में रखे 25 लाख रुपए और दूसरी जगह रखे 17.50 लाख रुपए बरामद किए गए थे।
अब आरोपी ने कबूल किया है कि पकड़ा न जाऊं, इसलिए पब्लिक प्लेस पर में वीडियो या फोटो नहीं खिंचवाता था। 

दरअसल, एक हफ्ते पहले पुलिस आरोपी से पूछताछ करने के लिए जेल गई थी। जहां उसने कई चौंकाने वाले खुलासे किए। 
पूछताछ में आरोपी ने बताया कि लड़कियों को फंसाकर पैसा ऐंठने का सबसे अच्छा जरिया मैट्रिमोनियल साइट्स और अखबार में छपे विज्ञापन होते थे। मैं दिए गए पते पर लड़कियों और उनके घर वालों से संपर्क करता। फिर खुद को जज बताता। कार से उनके पास जाता। रौब दिखाता। ये सब देखकर वो शादी को राजी हो जाते। ऐसे ही मैं लड़कियों को टारगेट करता।
उसने बताया कि मैंने लखनऊ की रहने वाली किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में नर्सिंग ऑफिसर के साथ भी ऐसे ही किया। उसे अपना फर्जी पावर और पैसे का रुतबा दिखाया। मैंने कहा- मैं आजमगढ़ में जज हूं। ये सुनते ही वह इंप्रेस हो गई। फिर उसने कुछ भी नहीं पूछा।
जेल में पूछताछ के दौरान शातिर ने बताया था कि वह एक बार अपने कुछ परिचितों के साथ दिल्ली गया था। जहां उन लोगों का किसी से विवाद हो गया, जिस पर पुलिस मौके पर पहुंची, तो मैंने खुद को जज बताया। तो पुलिस वाले वापस लौट गए।
कर्नलगंज इंस्पेक्टर विनीत कुमार ने बताया कि आरोपी के खिलाफ 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल हो जाएगी। अब तक करीब 10 गवाहों को मामले में शामिल किया गया है। आरोपी के पास से अर्टिगा कार को जब्त कर लिया गया है।
आरोपी ने पत्नी के नाम से तीन प्लॉट उन्नाव में खरीदे हैं। जिनकी रजिस्ट्री पुलिस को जांच में मिल गई है, जो कि उसके खिलाफ साक्ष्य के रूप में शामिल की जाएगी। फजलगंज और ग्वालटोली थाने में दर्ज मुकदमों के बाद उच्चाधिकारियों के आदेश पर आरोपी के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में भी कार्रवाई की जाएगी।
लखनऊ की रहने वाली युवती केजीएमयू में नर्सिंग ऑफिसर ने कानपुर पुलिस से आरोपी की शिकायत की थी। पुलिस ने जांच की तो मामला सही पाया गया। नर्सिंग ऑफिसर ने पुलिस को बताया था कि मेरे पिता ने उनकी शादी के लिए मेट्रोमोनियल साइट पर फरवरी 2025 में विज्ञापन दिया था। विज्ञापन देखकर एक युवक ने मेरे पिता से संपर्क कर खुद को आजमगढ़ में तैनात जज वाराणसी निवासी अंशुमान विक्रम सिंह बताया था।
उसने बताया कि वह वर्तमान में सिविल जज जूनियर डिवीजन के रूप में कार्यरत है। उसने अपनी बातों से पिता को इंप्रेस कर मेरा नंबर हासिल कर लिया। जज होने के कारण मैंने भी उसका बायोडाटा देखा और शादी के लिए हामी भर दी। फिर जुलाई में एक कॉल आई। उसने खुद को अंशुमान विक्रम सिंह एसीजे जूनियर डिवीजन बताया।
चूंकि, शादी तय थी, इसलिए दोनों में बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया। फिर जुलाई के आखिरी सप्ताह में 1 करोड़ की लग्जरी कार खरीदने की बात बताई। उसने कहा- मैं न्यायिक अधिकारी हूं। अगर एक करोड़ की गाड़ी खरीदी और पैसों का हिसाब नहीं दे पाया तो फंस जाऊंगा। झांसे में आकर मैंने उसे अपनी सेविंग से 14 से 15 लाख रुपए दे दिए।
उसने अकाउंट से 30 जुलाई को 13 लाख रुपए और 4 अगस्त को 1 लाख रुपए कैश निकाल लिया। 1 सितंबर को 6 लाख, 4 सितंबर को 20 लाख और 4 सितंबर को 19.50 लाख रुपए निकाले। 7 सितंबर को मैं कानपुर पहुंची। यहां उसको शक हो गया। वह मूवी छोड़कर भाग गया।
कानपुर सेंट्रल के डीसीपी श्रवण कुमार सिंह ने 15 सितंबर को आरोपी को गिरफ्तार किया। उन्होंने बताया कि विष्णु शंकर 10 से ज्यादा लड़कियों और महिलाओं को कभी आईएएस तो कभी आईपीएस बनकर ठग चुका है। एक युवती तो सुसाइड भी कर चुकी है।
पुलिस ने बताया कि विष्णु शंकर ने अपनी पत्नी आयुषी को भी ठगा था। लेकिन, बाद में उसने आयुषी से शादी कर ली। दोनों के बीच तलाक हो चुका है, लेकिन मिलकर ठगी का धंधा करते थे।