
आ स. संवाददाता
कानपुर। चिड़ियाघर में लखीमपुर खीरी से लाए गए बाघ की मौत हों गई थी। वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना देने के बाद बाघ का पोस्टमार्टम कराकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया था । पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सेप्टीसीमिया से बाघ की मौत होने की पुष्टि हुई है।
लखीमपुर खीरी के महेशपुर रेंज में नवंबर माह में इस आदमखोर बाघ का आतंक मचा रखा था। इसने मन्नापुर गांव के किसान कंधईलाल और एक अन्य व्यक्ति को भी मार दिया था। सूचना पर वन विभाग ने घायल बाघ को पकड़ा था। बीती 26 नवंबर को लखीमपुर खीरी के वन विभाग के अधिकारी इलाज के लिए बाघ को कानपुर चिड़ियाघर छोड़ गए थे। यहां उसे 14 दिन के लिए क्वारंटाइन किया गया था, लेकिन क्वारंटाइन के तीसरे दिन ही 29 नवंबर को बाघ की मौत हो गई।
चिड़ियाघर के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनुराग और उनकी टीम बाघ के स्वास्थ्य पर नजर बनाए हुई थी। बाघ ने तीन दिन तक पांच किलो मीट भी खाया था। लेकिन वह दिन प्रतिदिन शांत होता जा रहा था। 29 नवंबर को बाघ पिंजड़े में मृत अवस्था में मिला था।
डॉ. अनुराग, डॉ. नासिर और डॉ. नितेश के पैनल ने बाघ का पोस्टमॉर्टम किया था, जिसमें सेप्टीसीमिया होना मौत का कारण बताया गया।
बाघ के शरीर पर एक दर्जन से ज्यादा चोट के निशान के साथ ही कई जगह गहरे घाव भी मिले थे। यह नर बाघ था और इसकी उम्र करीब 10 वर्ष थी।
चिड़ियाघर के निदेशक केके सिंह ने बताया कि बाघ को इलाज के लिए लाया गया था। वह गंभीर रूप से जख्मी था। चिकित्सकों ने उसका इलाज किया, लेकिन बचा नहीं सके। बाघ के शरीर पर जिस तरह की चोटें थीं, उन्हें देखकर स्पष्ट था कि उसे किसी जंगली जीव ने घायल किया है। लखीमपुर वन विभाग को भी बाघ की मौत की सूचना दे दी गई है।