March 13, 2025

—वाजिदपुर कंपोजिट विद्यालय की सुनी समस्याएं।

विश्‍ववार्ता संवाददाता 
कानपुर।
  कैंट स्थित निर्माणाधीन सार्वजनिक बरातघर समभाव मंडप का डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने निरीक्षण किया। जांच के दौरान डीएम को बरातघर में लगे खिड़की, दरवाजों में जंग लगी मिली। छत की फॉल सीलिंग व बेतरतीब लगी टाइल्स को देख कर उन्होंने नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि जब पैसा पूरा मिल गया था, तो काम पूरा क्यों नहीं हुआ।
कार्य में लेट लतीफी व घटिया निर्माण कार्य के चलते डीएम ने वक्फ विकास निगम के एमडी से वक्फ विकास निगम के अधिशासी अभियंता व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा। साथ ही कर्मचारियों से वसूली कर अनियमितताएं दूर कराने को कहा।
कैंट में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की ओर से 2.34 करोड़ की लागत से सार्वजनिक बरात घर का निर्माण कार्य जनवरी 2020 में शुरू कराया गया था। 5 साल बीतने के बाद भी अब तक बरातघर तैयार नहीं हो पाया है, जबकि अगस्त 2023 में परियोजना का पूरा पैसा विभाग को मुहैया करा दिया गया था।

जब डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह बरात घर का निरीक्षण करने पहुंचे तो अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अधिकारियों के हाथ पांव फूल गए। मौके पर वक्फ विकास निगम के अधिशासी अभियंता रिजवान खान पहुंचे। निरीक्षण के दौरान खिड़कियों व दरवाजों की चौखटों पर लगी जंग देख डीएम ने पूछा कि एंटी डस्ट व प्राइमर का इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया। जब पैसा मिल गया तो काम पूरा क्यों नहीं हुआ
इसके बाद डीएम ने छत की फॉल सीलिंग को देखा तो वह गिरती हुई मिली, टाइल्स बेतरतीब लगे हुए थे। बरात घर में बने स्टेप पर शौचालयों में इस्तेमाल की जाने वाली पटिया पड़ी हुई थीं। घटिया निर्माण कार्य देख उन्होंने पूछा कि परियोजना पूरी नहीं हुई और यह हालत हो गई।
उन्होंने पूछा कि जब अगस्त 2023 में पूरा पैसा दे दिया गया था, तो अब तक काम पूरा क्यों नहीं हुआ। जिस पर अफसरों के पास कोई जवाब नहीं था। अधिकारी अपनी बगले झांकने लगे।
इसके बाद डीएम ने वाजिदपुर स्थित कंपोजिट विद्यालय का निरीक्षण किया, जहां उन्होंने अध्यापकों से उनकी समस्याएं जानी। एक अध्यापिका ने बताया कि स्कूल के आसपास फैक्ट्रियों से आने वाली चमड़े की बदबू से स्कूल में बैठना दूभर हो जाता है। उन्होंने बताया कि स्कूल में पीने लायक पानी भी नहीं है, बच्चे काफी दूर से पानी पीकर आते हैं।साथ ही बताया कि स्कूल में फर्नीचर भी नहीं है, सर्दी के मौसम में बच्चों को दरी पर बैठना पड़ता है।  

डीएम ने पूछा कि क्या कायाकल्प योजना का स्कूल को लाभ नहीं मिला। जिस पर अध्यापकों ने बताया कि चिन्हित स्कूलों को योजना का लाभ मिला है, उनके पास बिल्डिंग भी नहीं है।