December 8, 2025

आ स संवाददाता 

कानपुर। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के सेल फॉर डिफरेंटली एबल्ड पर्सन्स ने विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस के अवसर पर ऑटिज्म के प्रति जागरूकता फैलाने और कैंपस समुदाय को शिक्षित करने के उद्देश्य से एक सत्र का आयोजन किया। इस सत्र का उद्घाटन आईआईटी कानपुर के उप निदेशक और  ब्रिटिश साइकॉलॉजिकल सोसाइटी के फेलो प्रो. ब्रज भूषण ने किया। उनका शोध कार्य ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर की  प्रारंभिक पहचान और निदान पर केंद्रित है। उन्होंने अपने अनुभव साझा किए और शुरुआती हस्तक्षेप की महत्ता पर बल दिया। साथ ही उन्होंने ऑटिज्म से पीड़ित व्यक्तियों में फंक्शनल लिटरेसी की अवधारणा पर चर्चा की और सीखने की चुनौतियों से निपटने के व्यावहारिक तरीकों को रेखांकित किया।

पैनल में डॉ. रूमा चतुर्वेदी, निदेशक, पुष्पा खन्ना मेमोरियल सेंटर, कानपुर भी शामिल थीं। वे एक प्रमाणित  पीयर्स सोशल स्किल्स ट्रेनर और ऑटिज्म मूवमेंट थैरेपी ट्रेनर हैं और पुनर्वास परिषद की सदस्य भी हैं। इस सत्र के दौरान उन्होंने ऑटिज्म से पीड़ित लोगों के साथ किए गए अपने गहन क्षेत्रीय कार्य के अनुभव साझा किए।

आईआईटी कानपुर की सीनियर काउंसलर आकांक्षा अवस्थी भी पैनलिस्ट के रूप में उपस्थित रहीं। उन्होंने संज्ञानात्मक और व्यवहारिक विकास के लिए हाथों-हाथ अपनाए जा सकने वाले अभ्यास सुझाए, जैसे अनाज की छंटाई की गतिविधियाँ और अखबारों से स्वर पहचानने वाले पज़ल्स जो ध्यान केंद्रित करने और मानसिक रूप से सक्रिय बने रहने में मदद कर सकते हैं।

इस इंटरैक्टिव सत्र में प्रतिभागियों की उत्साही भागीदारी देखने को मिली। उन्होंने उत्सुकतापूर्वक सवाल पूछे और अपनी जिज्ञासाएं साझा कीं, जिनका पैनलिस्टों ने गर्मजोशी और विशेषज्ञता के साथ उत्तर दिया। कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें प्रो. अनुभा गोयल, प्रो. कंतेश बलानी, प्रो. आशुतोष मोदी और सीडीएपी के अन्य सदस्य उपस्थित रहे।

हर वर्ष, 2 अप्रैल को विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जाता है, ताकि ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के बारे में जागरूकता फैलाई जा सके और ऑटिज्म से पीड़ित व्यक्तियों की स्वीकृति और समझ को बढ़ावा मिल सके। यह दिवस 2007 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा पारित एक प्रस्ताव के बाद घोषित किया गया था, जिसका उद्देश्य दुनिया भर में ऑटिज्म और उसके प्रभाव के बारे में वैश्विक जागरूकता फैलाना है।