October 16, 2025

संवाददाता
कानपुर।
इस बार दीपावली के त्योहार पर कानपुर की एक गोशाला ने अनूठी पहल की है। गोशाला में पंचगव्य से गणेश-लक्ष्मी और दीपक बनाए जा रहे हैं। पंचगव्य से बनने वाले गणेश लक्ष्मी व दीयों की मांग प्रदेश के अलावा विदेशों में भी है। अब तक करीब 2000 से ज्यादा गणेश लक्ष्मी की मूर्तियों को बनाकर बाजार में भेजा जा चुका है।
कानपुर गोशाला सोसाइटी द्वारा भौंती में गोशाला संचालित है। गोशाला से जुड़े सुरेश गुप्ता ने बताया कि गोशाला में दीवाली के लिए इन उत्पादों को बनाया जा रहा है।
पंचगव्य से बनने वाले गणेश लक्ष्मी व दीयों की मांग इतनी है कि इस समय गोशाला की ओर से थोक मांग को लिया जाना बंद कर दिया गया है। 

गोशाला सोसाइटी के प्रबंधक संजीव दुबे ने बताया कि पंचगव्य से बनी गणेश लक्ष्मी की मूर्ति इको फ्रेंडली होती है। इसको गमले या खेत में डालने पर यह खाद बन जाती है। इसके अलावा पानी में डालने पर उसमें घुल जाती व जलीय जीवों का भोजन बन जाती है।
इसमें सबसे खास बात यह है कि घुलने के बाद नदी, नहर या तालाब के पानी को भी दूषित नहीं करती है। जबकि अन्य मूर्तियों में मिट्‌टी के अलावा रंग या अन्य उत्पाद मिला होने की वजह से जलाशय के जल को दूषित करते हैं।
जिस गोबर में पंचगव्य को मिलाया जाता है, उससे बनने वाली मूर्ति अपने आप ही प्राण प्रतिष्ठित हो जाती है। पंचगव्य के साथ में तुलसी का बीज भी मिलाया जाता है। धार्मिक कहावतों के अनुसार गोमय वसते लक्ष्मी का अर्थ है कि गाय के गोबर में देवी लक्ष्मी का वास होता है।
यह कहावत गाय के गोबर के पवित्र और शुभ होने का संकेत देती है।  

दीपावली के त्योहार में मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए जब आप पंचगव्य से बनी मूर्तियों को पूजन करते हैं तो यह शुभ होता है। गोशाला के लोगों का कहना है कि नियमानुसार गोबर से बने गणेश लक्ष्मी की ही पूजा करनी चाहिए।
पंचगव्य से बनी मूर्तियों को बनाने के लिए सबसे पहले गाय के गोबर को सुखाने के बाद पाउडर करके छाना जाता है। उसके बाद गोबर से बने पाउडर में दूध, दही व गोमूत्र मिलाया जाता है। इसके बाद गणेश लक्ष्मी की मूर्तियां तैयार करने के लिए बने सांचों में गाय के घी को रखकर पंचगव्य को डालने के बाद मूर्ति को ढाला जाता है।
मूर्ति ढलने के बाद उसको सांचे से बाहर निकालने के बाद धूप में सूखने के लिए रखा जाता है। सूखने के बाद मूर्ति तैयार हो जाती है। इसी तरीके से दीयों को भी बनाया जाता है।
पंचगव्य से बनने वाले उत्पादों को बनाने में गाय से प्राप्त होने वाली पांच चीजों को मिलाया जाता है, जिसमें दूध, दही, घी, गोबर और गौमूत्र शामिल हैं। 

गोशाला के विशेषज्ञों ने बताया कि इन पांच चीजों से मिलकर तैयार होने वाले मिश्रण को पंचगव्य कहा जाता है। इसमें इस बात का विशेष ध्यान रखना होता है कि पांचों चीजें गाय से प्राप्त की गई हों।