कानपुर। गंगा नहाने गए विभाग के उप निदेशक और महिला जज के पति आदित्यवर्धन सिंह का 5वें दिन बुधवार को भी कोई सुराग नहीं मिल सका। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की 100 टीमें लगातार कॉम्बिंग कर रही हैं। ड्रोन की मदद से भी गंगा और आसपास के इलाकों को खंगाला जा रहा है। एनडीआरएफ के गोताखोरों का कहना है कि गंगा के कटान में शव दब गया या फिर कोई जलीय जन्तुर खा गया है। वहीं, एक दिन पहले यानी मंगलवार को देर रात तक सर्च ऑपरेशन चला। उनके दोस्तो प्रदीप तिवारी और योगेश्वर मिश्रा से भी पूछताछ की गई कि कहां पर नहा रहे थे, कहां से डूबने लगे। आदित्यवर्धन की डूबने से ठीक पहले की तस्वीर भी सामने आई थी। इसमें वह अपने दोस्त के साथ सीने तक पानी में नहाते दिखे थे। मूलरूप से उन्नाव निवासी आदित्यवर्धन सिंह स्वास्थ्य विभाग में डिप्टी डायरेक्टर हैं। वर्तमान समय में वह परिवार के साथ लखनऊ के इंदिरा नगर में रहते हैं। 31 अगस्त को अपने दो दोस्तों के साथ गांव जा रहे थे। इससे पहले बिल्हौर के नानामऊ घाट पर गंगा में नहाने उतरे और डूब गए। इसके बाद से आदित्यवर्धन की तलाश में लगातार एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पीएसी और पुलिस के गोताखोर लगे हैं। लेकिन, उनका अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है। पांचवें दिन उम्मीद खो चुके परिवार के लोग नानामऊ घाट पर नहीं पहुंचे। बांगमऊ स्थित कबीरपुर में मौजूद परिवार के लोगों से बात की गई, तो उन्होंने कुछ भी बोलने से साफ इनकार कर दिया। पीएसी जवान जो गोताखोर के एक्सपर्ट हैं, उन्होंने अपना नाम नहीं बताया। कहा कि वो कहां हैं, न आप जानो न हम। हो सकता है, कहीं गड्ढे में फंस गए हों। ऊपर से रेता पड़ गया। इस वजह से भी गंगा के नीचे दबी हो सकती है। या फिर कहीं बहकर चली गई। हम लोग बहुत देखें हैं।अगर लाश होती है, तो 24 घंटे में उतरा जाती है। हम लोगों के पास तो कुछ ऐसा है नहीं कि पानी के अंदर देख सकें। कई बार होता है कि किसी का जाल पड़ा हो तो वहां भी फंसने की संभावना है। एनडीआरएफ के जवान एक जवान ने बताया कि जज के पति का नहीं मिलने के पीछे यही हो सकता है कि वो कहीं फंस गए हैं, या फिर गंगा के कटान में मिट्टी के नीचे दबे हैं। 10-5 किलो मिट्टी भी दबा दे, तो इंसान का शरीर ऊपर नहीं पाता। या तो कोई जानवर भी खा सकता है बहुत सारी संभावनाएं हो सकती हैं।