
संवाददाता
कानपुर। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर तथा अखिल भारतीय सर्व वैश्य महासभा के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय कवि मैथिलीशरण गुप्त जी की 139वीं जयंती अध्यात्म, राष्ट्र, समाज एवं निजता के प्रति राष्ट्रीय कवि मैथिलीशरण गुप्त जी की समग्र साहित्यिक भूमिका के विषय पर बडे श्रद्धा और साहित्यिक गरिमा के साथ मनाई गई। कार्यक्रम में उनके साहित्यिक योगदान को अध्यात्म, राष्ट्रभक्ति, सामाजिक चेतना और व्यक्तिगत अस्मिता के संदर्भ में व्यापक रूप से समझने का प्रयास किया गया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि सतीश महाना, अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश विधानसभा उपस्थिति रहे। नितिन अग्रवाल आबकारी एवं निषेध मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार, ने मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित किया।
सतीश महाना जी अपने वक्तव्य में कहा कि मैथिलीशरण गुप्त ने हिंदी काव्य को पहली बार एक सशक्त राष्ट्रवादी स्वर प्रदान किया। उनके काव्य ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक शक्ति प्रदान की। मुख्य भाषण में नितिन अग्रवाल ने कहा कि गुप्त जी ने आधुनिक हिंदी साहित्य को एक नई दिशा दी और महिलाओं, आम जन तथा हाशिए के समाजों की भावनाओं को स्वर प्रदान किया। उनका साहित्य मानवीय संवेदना की अभिव्यक्ति का उत्कृष्ट माध्यम है।
विशेष व्याख्यान के अंतर्गत प्रो. सर्वेश सिंह, विभागाध्यक्ष, हिंदी, बीबीएयू, लखनऊ तथा प्रो. पवन अग्रवाल, विभागाध्यक्ष, हिंदी, लखनऊ विश्वविद्यालय ने गुप्त जी के काव्य में निहित आध्यात्मिकता एवं राष्ट्रवाद पर गहन विचार रखे तथा उन्हें समकालीन सामाजिक-राजनीतिक संदर्भों में प्रासंगिक बताया।
संगोष्ठी की अध्यक्षता कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने की । उन्होंने उच्च शिक्षा में हिंदी एवं संस्कृत के प्रति छात्रों की घटती रूचि पर चिंता व्यक्त की और इस समस्या के समाधान के लिए सामाजिक संस्थाओं को आगे आने के लिए भावपूर्ण आवाहन किया | उन्होंने युवाओं में साहित्यिक चेतना के नवजागरण की आवश्यकता पर बल दिया, जो हमारी सांस्कृतिक गौरव और राष्ट्रीय पहचान से जुड़ी हो। साथ ही उन्होंने व्यापारिक समुदाय द्वारा सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक क्षेत्रों में दिए गए योगदान को भी सराहा।
इस अवसर पर मेधावी छात्राओं कु. गीत त्रिपाठी प्रथम स्थान, कु. वैशाली विश्नोई द्वितीय स्थान एवं कु. आयुषी मिश्रा तृतीय स्थान को उनके उत्कृष्ट साहित्यिक प्रदर्शन हेतु सम्मानित किया गया। यह कार्यक्रम न केवल मैथिलीशरण गुप्त जी को श्रद्धांजलि था, बल्कि उनके साहित्य में निहित अध्यात्म, राष्ट्रभक्ति, सामाजिक मूल्य और निजता जैसी स्थायी भावनाओं को पुनः स्मरण कर, उन्हें समकालीन संदर्भों से जोड़ने का प्रयास भी था।
कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम समन्वयक डॉ. श्रीप्रकाश, सहायक आचार्य, भाषा संकाय, और संजय गुप्ता, राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिल भारतीय सर्व वैश्य महासभा द्वारा सफलतापूर्वक किया गया।
इस आयोजन का समुचित समन्वयन डॉ. सर्वेश मणि त्रिपाठी, निदेशक, भाषा संकाय, सीएसजेएम विश्वविद्यालय, कानपुर के नेतृत्व में हुआ, जिन्होंने शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक स्तर पर इसे उत्कृष्ट रूप दिया। कार्यक्रम में विशेष रूप से अनुराग अग्रवाल, संजय गुप्ता, शुभांग गुप्ता, योगेश अग्रवाल, रतन श्रीवास्तव, विश्वनाथ कनौड़िया, सुभाष अग्रवाल, प्रदीप गुप्ता, डॉ. अंकित त्रिवेदी, डॉ. प्रभात गौरव मिश्रा, डॉ. लक्ष्मण कुमार, डॉ. प्रीतिवर्धन दुबे सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।