July 31, 2025

संवाददाता 

कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के कृषि विज्ञान केंद्र कानपुर देहात के कृषि वैज्ञानिक डॉ. खलील खान विकासखंड सरवनखेड़ा के गांव जसवापुर में प्रगतिशील कृषक नरोत्तम कुशवाहा के खेत पर पहुंचे और प्राकृतिक खेती के अवयवों के बारे में वैज्ञानिक पद्धतियों की बारीकियां बतायीं। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती में देशी गाय के गोमूत्र और गोबर से जीवामृत, घनजीवामृत,बीजामृत, आग्नेयास्त्र, ब्रह्मास्त्र,दसपर्णीय, डिकम्पोज़र आदि बनाकर खेती में प्रयोग किया जाता है। 

डॉ. खान ने बताया कि इस खेती से फसल की लागत मेें भी कमी होना स्वाभाविक है। बाजार में प्राकृतिक खेती के माध्यम से पैदा किये गये उत्पादों की कीमत भी दुगुनी प्राप्त होती है। 

कृषि वैज्ञानिक डॉ. खलील खान ने बताया कि प्राकृतिक खेती के माध्यम से फल-सब्जी की खेती बहुत अच्छे तरीके से की जा सकती है तथा इनकी गुणवत्ता भी अच्छी होती है। 

डॉ. खान ने कहा कि प्राकृतिक रूप से खेती करके हम फल, वृक्ष एवं सब्जी की खेती में प्राकृतिक कृषि के महत्वपूर्ण घटक, आच्छादन के माध्यम से खरपरतवारों को रोकने के साथ ही पानी की आवश्यकता बहुत कम कर सकते हैं।