December 7, 2025

संवाददाता
कानपुर।
जिलाधिकारी से भिड़ने वाले सस्पेंड सीएमओ सुबह ऑफिस पहुंचे और कुर्सी पर बैठ गए। रजिस्टर मंगवाकर अटेंडेंस लगाई। सूचना मिलते ही आधे घंटे में वर्तमान सीएमओ भी पहुंच गए। उन्होंने कहा कि आप कैसे इस सीट पर बैठ गए, उठिए।
इस पर पूर्व सीएओ डॉ. हरी दत्त नेमी ने कहा कि मैं कोर्ट से स्टे लेकर आया हूं। आप शासन से बात करें। मुझे यहीं के लिए भेजा गया है, क्योंकि मेरा निलंबन कानपुर से ही हुआ था।
सीएमओ डॉ. उदयनाथ ने इसकी जानकारी अपने सीनियर अधिकारियों को दी। उन्होंने बताया कि मेरे पास अभी कोई ऑर्डर नहीं आया है। बुधवार सुबह करीब 9 बजे काशीराम अस्पताल स्थित सीएमओ ऑफिस में हंगामा होते देख लोगों ने पुलिस को फोन कर दिया।
चकेरी थाना पुलिस पहुंची और विवाद बढ़ते देख फोर्स तैनात कर दी गई। थोड़ी देर बाद एसडीएम ऋतु और एसीपी लाइन आशुतोष सिंह भी मौके पर पहुंच गए। दोनों अधिकारियों को समझा रहे हैं।
वर्तमान सीएमओ डॉ. उदयनाथ ने कहाकि कोर्ट के आदेश को लेकर पूर्व सीएमओ ने यहां पर अपना दावा किया है, जबकि उन्हें एक प्रॉपर चैनल के थ्रू आना चाहिए था। सबसे पहले कोर्ट के बाद उन्हें प्रमुख सचिव के यहां अवगत कराना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अभी प्रमुख सचिव के यहां से मेरे पास भी कोई ऑर्डर नहीं आया है, जबकि मेरा ट्रांसफर शासन के आदेश पर हुआ है। इसलिए अभी मैं यहां का सीएमओ हूं।
सीएमओ और पूर्व सीएमओ के बढ़ते विवाद की सूचना पर चकेरी पुलिस पहुंची और पूरे मामले की जानकारी ली। इसके बाद कार्यालय में फोर्स की तैनाती कर दी गई।
कानपुर डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह से भिड़ने वाले सीएमओ डॉ. हरी दत्त नेमी को 18 जून को सस्पेंड कर दिया गया था। इसके बाद डॉ. हरी दत्त नेमी इलाहाबाद हाईकोर्ट चले गए। न्यायमूर्ति मनीष माथुर की एकलपीठ ने 8 जुलाई को उनके निलंबन आदेश पर रोक लगा दी। कोर्ट ने राज्य सरकार व विपक्षी को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में जवाब मांगा है। अब याचिका की अगली सुनवाई 18 अगस्त को होगी।
याची का कहना है कि विपक्षी ने याची के विरूद्ध बिना विभागीय जांच बैठाए, छोटे अपराध के आरोप में निलंबित कर विपक्षी संख्या तीन को सीएमओ बना दिया।
इस पर कोर्ट ने कहा कि आदेश से ही स्पष्ट है कि निलंबित करते समय कोई जांच कार्यवाही नहीं की गई। आरोप ऐसा है कि बड़ा दंड नहीं दिया जा सकता। ऐसे में उप्र सरकारी सेवक नियमावली के तहत निलंबित नहीं किया जा सकता।

यह विवाद 5 फरवरी, 2025 से शुरू हुआ, जब कानपुर डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने सीएमओ ऑफिस में छापा मारा था। इस दौरान सीएमओ डॉ. हरी दत्त नेमी समेत 34 अधिकारी-कर्मचारी गैरहाजिर मिले थे। डीएम ने सीएमओ कार्यालय से ही एक वीडियो जारी किया था। 

डीएम को रजिस्टर में नाम लिखे मिले थे, लेकिन 34 अधिकारी-कर्मचारी ऑफिस में नहीं मिले। सभी का एक दिन का वेतन रोक दिया गया था।
इस एक्शन के बाद डीएम और सीएमओ के बीच खटास शुरू हुई। इससे पहले डीएम लगातार सीएचसी और पीएचसी पहुंचकर कमियां उजागर कर रहे थे। इस मामले ने तब और तूल पकड़ा, जब डीएम के कहने पर भी सीएमओ ने लापरवाह अधिकारी-कर्मचारियों पर कोई एक्शन नहीं लिया।

15 अप्रैल, 2025 को डीएम ने शासन को एक लेटर लिखा। इसमें कानपुर सीएमओ को हटाने के लिए कहा गया। एडमिनिस्ट्रेशन सोर्स के मुताबिक, 5 जून के बाद भी सीएमओ को हटाने के लिए शासन को लेटर लिखा गया। इस बीच सीएमओ भी अपना ट्रांसफर रुकवाने के लिए एक्टिव हो गए।
सीएमओ का एक वीडियो भी सामने आया। इसमें उन्होंने कहा- जेएम फार्मा का बिल पेमेंट होना था, मेरे ऊपर दबाव बनाया गया। फर्म सीबीआई चार्जशीटेड थी। इसकी खामियों को लेकर 125 पेज की रिपोर्ट तैयार की। इसको अधिकारियों के पास भेजा गया। सीनियर फाइनेंस अधिकारी वंदना सिंह ने डीएम को लेटर भी भेजा था। अब मेरे खिलाफ षडयंत्र हो रहा है।
यहीं से इस मामले में सियासत शुरू हुई। सीएमओ ने विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना से मुलाकात की। कहा कि बीजेपी सांसद, विधायकों के सुझाव मैंने हमेशा माने। मरीजों को अच्छा इलाज दिलाया, फिर भी मेरे ट्रांसफर की संस्तुति की गई है।
इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को 11 जून को लेटर लिखा कि सीएमओ साहब का व्यवहार आम जनता को लेकर ठीक है। ऐसे में इनका ट्रांसफर रोकने पर विचार किया जा सकता है।
इसके बाद 2 और बीजेपी विधायक सीएमओ के सपोर्ट में आ गए। उन्होंने भी डिप्टी सीएम को लेटर भेजे। एमएलसी अरुण पाठक ने 14 जून और विधायक सुरेंद्र मैथानी ने 15 जून को लेटर लिखा।

बीजेपी में दो फाड़ तब शुरू हुई, जब 16 जून को बिठूर विधानसभा से बीजेपी विधायक अभिजीत सिंह ने सीएमओ को भ्रष्टाचारी बताते हुए सीधे मुख्यमंत्री को पत्र लिख दिया। फिर बीजेपी विधायक महेश त्रिवेदी ने भी सीएमओ के खिलाफ लेटर लिख दिया।
इस सियासत के बीच सीएमओ के ड्राइवर सूरज का ऑडियो वायरल हुआ। ड्राइवर ने डीएम को भ्रष्टाचारी बताया। इसके बाद 13 जून को सीएमओ का एक और ऑडियो वायरल हुआ। इसमें सीएमओ ने कहा कि डीएम ढोल ज्यादा बजा रहा है। किसी दिन कोई महिला अधिकारी बदतमीजी कर देगी।
इसके बाद 14 जून को कानपुर डीएम ने सीएम डैशबोर्ड की समीक्षा बैठक से मुख्य चिकित्सा अधिकारी को बाहर कर दिया। सीएमओ का दावा है कि डीएम ने मीटिंग में मुझसे कहा कि सीएमओ साहब आप तो एआई हो गए थे। लेकिन, आप तो जिंदा हो और यहां बैठे हो।
फिर डीएम ने मुझसे पूछा कि सीएमओ साहब यह सब क्या हो रहा है? मैंने कहा कि यह ऑडियो मेरा नहीं है। किसी ने एआई से बनाकर इसको वायरल किया है। फिर डीएम ने कहा कि आप इसकी जांच करें। पता करें कि किसने इस फेक ऑडियो को बनाया है। इसे वायरल किया है। जाकर उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएं। फिर डीएम ने मेरा हाथ पकड़कर बाहर जाने को कहा। इसपर मैं बैठक से बाहर चला गया।