
आ स. संवाददाता
कानपुर। नगर की बेटी ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर की रेफरी बनकर नगर का नाम रोशन किया है। कानपुर की ताइक्वाँडो रेफरी बनी शिवानी ने आपबीती सुनाते हुए बताया कि ये बात 2011 की है जब मैं कक्षा-8 में पढ़ती थी, तभी स्कूल में लड़कों के लिए खेल गतिविधियों में भाग लेने का मौका दिया गया, लेकिन लड़कियों को कुकिंग, सिलाई-कढ़ाई का मौका दिया गया, लेकिन जब मैं लड़को को ताइक्वांडो खेलते देखती थी, तो मेरा मन ताइक्वांडो खेल की तरफ था। मैंने घर में बिना किसी को बताए ताइक्वांडो को ज्वाइन करने का फैसला कर लिया। पहले के समय लड़ाई झगड़े वाले खेल को लोग लड़कियों के लिए अच्छा नहीं समझते थे। स्कूल में जब मैंने खेल को ज्वाइन किया और ये बात घर में पता चली तो मेरे दादा जी सूरज प्रसाद पाल और दादी उमा देवी पाल ने इसका विरोध किया। उन्हें लगा कि लड़की ये खेल कैसे खेलेगी। लेकिन मेरे पिता सत्यपाल और मां आशा पाल ने मेरा सपोर्ट किया और उन्होंने ही दादा और दादी को समझाया। इसके बाद से मैंने खेल की तरफ अपनी रुचि बढ़ा दी।
शिवानी ने बताया ताइक्वांडो में मेरे सबसे पहले कोच प्रयाग सिंह थे। प्रयाग सिंह ने ही मुझे ताइक्वांडो खेल से परिचित कराया। इसके बाद 2016 से आज तक कोच सुशांत गुप्ता से ताइक्वांडो की बारीकियां सीख रही हूं। उन्होंने ही मुझे रेफरी बनने के लिए प्रेरित किया था।
शिवानी ने कहा कि मुझे अस्थमा की बीमारी थी, इसलिए मुझे फिट रहना काफी जरूरी था। मुझे लगा कि एक खिलाड़ी सबसे ज्यादा फिट रहता है। इसलिए मैंने खेल को चुना। आज मैंने अस्थमा को हरा दिया हैं।
कानपुर में 2011 में डिस्ट्रिक लेवल की प्रतियोगिता खेल विभाग की ओर से आयोजित हुई थी। सबसे पहले मैंने इसी प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था और स्वर्ण पदक पर कब्जा किया। 2014 में स्टेट लेवल की प्रतियोगिता केडी सिंह बाबू स्टेडियम लखनऊ में आयोजित हुई थी। उसमें पहली बार प्रतिभाग किया और रजत पदक अपने नाम किया। 2016 में पहली बार ओपन इंटरनेशनल ताइक्वांडो प्रतियोगिता दिल्ली में प्रतिभाग करने का मौका मिला।
शिवानी ने कहा कि वर्ष 2011 तक डिस्ट्रिक लेवल की प्रतियोगिताओं में करीब 150 से 200 लड़कियां प्रतिभाग करती थी। आज खेल के प्रति लोगों में इतनी जागरूकता बढ़ गई है कि हर डिस्ट्रिक लेवल की प्रतियोगिता में 500 से कम लड़कियां नहीं होती हैं।
शिवानी ने कहा कि पहले जब लोगों को बताती थी कि मैं ताइक्वांडो सीखती हूं तो लोग इसे अच्छा नहीं मानते थे, लेकिन आज जब मैं बाहर निकलती हूं तो मैं खुद को काफी सुरक्षित महसूस करती हूं। इसलिए सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग हर लड़कियों के लिए आज के समय में जरूरी हैं।
शिवानी ने कहा कि पहले से आज के खेल में बहुत कुछ बदल गया है। सरकार ने खेल को काफी बढ़ाया है। इस कारण खेल की तरफ लड़कियों की रुचि काफी बढ़ी हैं। सुविधाएं भी लोगों को बहुत मिलने लगी हैं, लेकिन अभी भी कई जगहों पर हम लोग पीछे हैं, उसमें सुधार की काफी जरूरत हैं।
शिवानी ने इंटरनेशनल रेफरी की परीक्षा जनवरी 2025 में पास की है। 17 से 26 जनवरी के बीच पुणे के श्री स्टेडियम में परीक्षा का आयोजन किया गया था। इसमें वर्ड ताइक्वांडो के अध्यक्ष चुंगवोन चोउ ने उन्हें इंटरनेशनल रेफरी का प्रमाण पत्र दिया था।
सामान्य पारिवारिक पृष्ठभूमि की शिवानी राजपाल के पिता सत्यपाल लोहे का व्यापार करते हैं। बड़ी बहन स्वेता राजपाल सिंगर है। छोटा भाई नीतेश राजपाल इवेंट मैनेजर हैं और मां आशा पाल हाउस वाइफ हैं।