December 27, 2025

संवाददाता

कानपुर।  सरसौल विकास खंड के वरिष्ठ प्राविधिक सहायक अजय कुमार सागर ने किसानों को वर्तमान मौसमी परिस्थितियों के कारण फसलों में संभावित कीट एवं रोग प्रकोप के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि गिरते तापमान और वातावरण में बढ़ती आर्द्रता के चलते आलू की फसल में अगेती एवं पिछेती झुलसा, मटर में मिल्ड्यू तथा राई-सरसों की फसलों में अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा रोग का खतरा बढ़ जाता है।
अजय सागर ने किसानों से अपनी फसलों की नियमित निगरानी करने और फफूंदी जनित रोगों से बचाव एवं नियंत्रण के प्रति सतर्क रहने की अपील की।
फसलवार रसायनों के प्रयोग की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि आलू में अगेती एवं पिछेती झुलसा रोग के नियंत्रण के लिए मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्लू.पी. 2 किलोग्राम अथवा कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्लू.पी. 2.50 किलोग्राम को 500-600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें।
मटर की फसल में मिल्ड्यू रोग के नियंत्रण हेतु जिनेब 75 प्रतिशत डब्लू.पी. 2.00 से 2.5 किलोग्राम अथवा कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्लू.पी. 2.00 किलोग्राम को 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने की सलाह दी गई।
राई-सरसों और अन्य तिलहनी फसलों में चेपा एवं माहू कीट के संभावित प्रकोप से बचाव के लिए नीम ऑयल 0.15 प्रतिशत 2.50 लीटर, इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एस.एल. 250-300 मिलीलीटर अथवा मैलाथियान 50 प्रतिशत 1 लीटर मात्रा को 400-500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने की संस्तुति की गई।
इसके अतिरिक्त, गेहूँ की फसल में सकरी पत्ती वाले खरपतवार जैसे गेंहूसा, गुल्ली-डंडा तथा चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार जैसे बथुआ, खरतुआ, कृष्णनील, सैनी, अकरा, प्याजी, हीरानखुरी, छोटी दुधि के नियंत्रण हेतु क्लोडिनीकॉप 9% और मेट्रिब्यूजन 20% दवा की 30 ग्राम मात्रा को 16 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करने की सलाह दी गई।
सागर ने किसानों से अनुरोध किया कि वे कीट-रोगों से बचाव के लिए नियमित रूप से फसलों का निरीक्षण करें और अपने विकास खंड में स्थापित राजकीय कृषि रक्षा इकाई से संपर्क करें। 

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