आ स. संवाददाता
कानपुर। बीसीसीआई और सुप्रीम कोर्ट की बनाई लोढ़ा समिति के नियमों का उल्लंघन करने के लिए विश्व प्रसिद्ध उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ पर अब रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी की नजर टेढ़ी होती दिखाई दे रही है। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी के अधिकारियों ने यूपीसीए में अब सुप्रीम कोर्ट और लोढ़ा समिति के नियमों का पालन करवाने का आश्वासन दिया है ।नियमों को न मानने की शर्त पर संघ के खिलाफ कार्यवाही के भी आदेश देने के बारे में वह कोताही नहीं बरतेंगे ।गुरुवार को क्रिकेट प्लेयर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश, क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ पूर्वांचल के पदाधिकारियो ने संयुक्त रूप से रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ के सहायक कमिश्नर अजीत कुमार सिंह से मुलाकात कर शिकायत दर्ज करवाई। आरओसी के कमिश्नर अजीत कुमार सिंह ने ज्ञापन देने आए लोगों को यूपीसीए के खिलाफ कार्य वाही का भरोसा दिया।वहीं क्रिकेट प्लेयर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश, क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ पूर्वांचल के पदाधिकारियों ने कहा कि यदि उनकी मांगें 20 दिनों के भीतर पूरी नहीं की जातीं और यूपीसीए के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जाती तो प्लेयर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश, क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ पूर्वांचल और उत्तर प्रदेश के सभी क्रिकेटर मिलकर रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ के कार्यालय के सामने आंदोलन करेंगे। गौर तलब है कि शिकायत में
यह दर्शाया गया है किमान्यता प्राप्त उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) में 70 वर्ष से ऊपर के 6 डायरेक्टर कार्यरत हैं, जो माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है।सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, राज्य क्रिकेट एसोसिएशन में 9 वर्ष से अधिक समय तक कोई भी पदाधिकारी कार्य नहीं कर सकता। लेकिन उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के डायरेक्टर 9 वर्ष से अधिक समय से कार्यरत हैं, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा निर्मित स्टेडियम/अकादमी, उन्नाव में, जिसे 3 करोड़ की लागत से बनाया गया बताया गया है, वह केवल कागजों पर ही निर्मित हुआ है। इस स्टेडियम का वास्तविक निर्माण नहीं हुआ है।3 करोड़ के इस स्टेडियम निर्माण घोटाले में शामिल डायरेक्टर और उत्तर प्रदेश के पदाधिकारियों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार कीजांच कराकर, यूपीसीए के डायरेक्टर और पदाधिकारियों को निलंबित किया जाए।इसी तरह, गाजियाबाद में क्रिकेट स्टेडियम/अकादमी के निर्माण कार्य के लिए आरएस2.97 करोड़ का खर्च दिखाया गया है, जबकि वास्तव में स्टेडियम/अकादमी का निर्माण नहीं हुआ है।यह पूरी तरह से घोर भ्रष्टाचार है, जिसकी जांच रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी द्वारा कराई जानी चाहिए। शिकायत करने वालों ने यह भी बताया है कि 2005 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जांच के कारण, यूपीसीए को चिटफंड विभाग द्वारा ब्लैकलिस्ट घोषित किया गया था।इसके बावजूद, 2005 में ब्लैकलिस्ट होने के बावजूद रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी, कानपुर द्वारा यूपीसीए को कंपनी एक्ट के तहतमान्यता प्रदान कर दी गई, जो नियमों के अनुसार अवैध और भ्रष्टाचार है। किसी ब्लैकलिस्टेड सोसाइटी को रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी द्वारा मान्यता नहीं दी जा सकती। उत्तर प्रदेश में कुल 75 जिले हैं, लेकिन यूपीसीए ने केवल 41 जिलों को मान्यता प्रदान की है और 34 जिलों को मान्यता नहीं दी गई।यह यूपीसीए का बहुत बड़ा भ्रष्टाचार है और माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है।एमसीए द्वारा जांच के लिए एक टीम भेजी गई थी, जिसमें यह पाया गया कि यूपीसीए में लगभग 700 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार की संभावना है। इस घोटाले की जांच एमसीए ने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ (कानपुर) को सौंपी है, लेकिन अभी तक इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। ज्ञापन देने वालों नेयूपीसीए और रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ की मिलीभगत का भी आरोप लगाया है आरोप है कि दोनों के मिली भगत के चलते एसोसिएशन में भ्रष्टाचार चरम पर है। इस भ्रष्टाचार के कारण उत्तर प्रदेश के हजारों युवाओं का क्रिकेट करियर बर्बाद हो रहा है। चयन प्रक्रिया में रिश्वतखोरी का बोलबाला है, जिससे प्रदेश के क्रिकेटरों में पलायन और आक्रोश बढ़ रहा है। यदि इस पर रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ ने तुरंत अंकुश नहीं लगाया, तो यह गुस्सा जन आंदोलन का रूप ले लेगा।क्या रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ द्वारा मान्यता प्राप्त यूपीसीए को अपेक्स कमेटी, सीए और अन्य समितियां बनाने का अधिकार है? क्या यूपीसीए प्राइवेट लिमिटेड को उत्तर प्रदेश के जिलों को मान्यता देने, अंडर-14, 15, 16, 19, 23 और रणजी ट्रॉफी की टीम चुनने का अधिकार कानूनी रूप से दिया गया है?यदि यह अधिकार कानूनी रूप से सही नहीं है, तो यूपीसीए को तुरंत यह कार्य रोकने का निर्देश दिया जाए।
भारत के सभी राज्य क्रिकेट संघ, बीसीसीआई और माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2017-18 में बनाए गए नियमों का पालन करते हैं। हालांकि, यूपीसीए बीसीसीआई और सुप्रीम कोर्ट के अधिकांश नियमों को नज़रअंदाज कर रहा है।इसलिए रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज, कानपुर निर्देश दे यूपीसीए को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करने के लिए बाध्य करे।यूपीसीए के टीम चयन घोटाले, स्टेडियम/अकादमी निर्माण घोटाले की विस्तृत जांच की जाए। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन सुनिश्चित किया जाए।यूपीसीए में शामिल दोषी व्यक्तियों को निष्कासित किया जाए। यदि उपरोक्त मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो यूपीसीए की मान्यता को रद्द किया जाए नहीं तो पूरे प्रदेश में आंदोलन चलाया जाएगा जिसकी जिम्मेदारी यूपीसीए और आरओसी की होगी।