
संवाददाता
कानपुर। पहले के समय में बढ़ती उम्र के लोगों में पथरी की समस्या देखी जाती थी, लेकिन अब 18 वर्ष से कम उम्र में भी इस तरह की समस्या देखी जाने लगी हैं। इस समस्या के पीछे के कारणों को जानने के लिए गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज, कानपुर में एक शोध की शुरुआत की गई है। दावा है कि इस तरह का शोध पहली बार देश में होने जा रहा है।
इस शोध में डॉक्टरों की टीम 18 साल तक के बच्चों को शामिल करेगी। इसमें कई अलग-अलग वर्ग के बच्चों को शामिल किया जाएगा। खास बात ये है जब इन बच्चों व उनके अभिभावकों से हिस्ट्री पूछी जा रही है तो उसमें परिवार में किसी को भी स्टोन की समस्या नहीं होने की बात सामने आ रही है।
ऐसे में बच्चों में होने वाली स्टोन की मुख्य वजह जानने के लिए सर्जरी विभाग में एक शोध किया जाएगा। ताकि इसको गंभीरता से लेते हुए उसके कारणों का पता चल पाए और इलाज आसान हो सके।
सर्जरी विभाग के प्रो. जीडी यादव ने बताया कि प्रतिदिन ओपीडी में एक से दो ऐसे मरीज आते हैं। बच्चों में 3 एमएम से लेकर 7 एमएम तक की पथरी देखी गई है। इसके अलावा कुछ पथरी टूकड़ों में भी नजर आई है।
ये शोध दो वर्ष तक चलेगा। शोध के लिए एथिक्स कमेटी से अनुमति मांगी गई है। शोध में कम से कम 100 से 150 मरीजों को शामिल किया जाएगा। शोध में मरीज के पित्त की थैली की जांच की जाएगी।
उसके बाद स्टोन की जांच की जाएगी। स्टोन किस वैराइटी की है, यह भी पता लगाया जाएगा। ऐसी स्टडी पहली बार शुरू होगी। वहीं, थैलेसीमिया ग्रस्त बच्चों में भी पथरी की समस्या देखी गई है, इसलिए उनको भी इस शोध में शामिल किया जाएगा।