कानपुर। फर्जी दरोगा की गिरफ्तारी के बाद असली पुलिस के भी होश फाकता हो गए जब आरोपित संजीव कुमार यादव के घर में पुलिस की 7 वर्दी और 12 जोड़ी जूते मिले। अलमारी की तलाशी में 2 पुलिस के आई-कार्ड, 4 आईफोन समेत डिपार्टमेंट के दस्तावेज मिले। पुलिस जब यह सब एक्शन ले रही थी, तभी दरोगा की पत्नी बोल पड़ी- हमारे पति असली दरोगा हैं। हमारे पापा से लाखों रुपए का दहेज भी ले चुके हैं। कल्याणपुर थाने की पुलिस ने तस्दीक के बाद दरोगा को अरेस्ट कर लिया। सीटीएस कल्याणपुर में रहने वाले चंद्रेश्चर सिंह को दोनों आंखों से दिखाई नहीं देता। उनका फर्नीचर का बड़ा कारोबार है। उनके दोनों बेटे कारोबार संभालते हैं। चंद्रेश्वर ने कहा- उनके दामाद एक दिन अपने दरोगा मित्र संजीव कुमार यादव को लेकर आए। परिवार के लोगों ने बताया कि संजीव वर्दी में था। 15 लाख रुपए की जमीन खरीदने के लिए उधार मांगा। उन्होंने 26 सितंबर, 2023 को संजीव के खाते में 5 लाख और फिर 27 सितंबर को 5 लाख ऑनलाइन भुगतान कर दिया। 5 लाख रुपए कैश दिया। उस वक्त 7-8 दिन में रुपए वापस देने की बात तय हुई थी। लेकिन, एक साल बाद भी रुपए वापस नहीं किए। जब संजीव से कहा गया तो वह धमकी देता था कि जेल भिजवा दूंगा। जानते भी हो, किससे बात कर रहे हो? इस दौरान ज्यादा दबाव बनाने पर 2 चेक भी दिए, जो बाउंस हो गए। इसके बाद कल्याणपुर थाने से मदद मांगी गई। एसीपी अभिषेक कुमार पांडेय ने बताया- गोवा गार्डन कल्याणपुर में रहने वाले संजीव कुमार यादव के घर दबिश दी गई। सामने आया कि वह यूपी के किसी भी थाने में तैनात ही नहीं है, फर्जी है। उसके पास से आइएएस ट्रेनिंग सेंटर मसूरी का आई-कार्ड भी मिला। यह कार्ड दिखाकर रौब गांठता था कि उसने आइएएस की ट्रेनिंग भी की है। नेवी के कोस्ट गार्ड, आर्मी की कैंटीन का कार्ड और यूपी पुलिस का आई-कार्ड उसके पास से मिले। एसीपी ने बताया- जब पुलिस ने उसके घर की अलमारियों की तलाशी ली, तब 7 जोड़ी वर्दी, 12 जोड़ी जूते, वर्दी में लगाने वाले स्टार और दरोगा की 4 कैप मिलीं। वह लोगों को उन्नाव जीआरपी में तैनाती बताता था। पत्नी से पूछताछ में सामने आया कि हर रोज सुबह पुलिस लिखी ऑल्टो कार से वह ड्यूटी के लिए रवाना हो जाता था। कहां रहता और क्या करता था, इसकी पूछताछ हो रही है। गोवा गार्डन की कॉलोनी के लोगों ने बताया- संजीव अक्सर मोबाइल पर घूम-घूमकर बात करता था। कहता- उस अपराधी को पकड़ लो, उसका मोबाइल सर्विलांस पर लगा दो। वह अपने साथ एक डायरी रखता था। डायरी के अंदर उन्नाव की 2 एफआईआर की कापी भी मिली। इतना ही नहीं, डायरी में पुलिस पैटर्न का एक क्राइम सीन का नजरी नक्शा भी बना हुआ था। डायरी के अलग-अलग पन्नों पर जिस तरह से पुलिस वाले लोगों की डिटेल नोट करते हैं, ठीक उसी तरह से कई अपराधियों का सिजरा और घटनाक्रम की डिटेल लिखी थी। संजीव पुलिस लाइन के सामने शमी श्रीवास्तव टेलर की दुकान से वर्दी सिलवाता था। उसने 7 दिन पहले ही नई वर्दी सिलवाई थी। एसीपी अभिषेक पांडेय भी वहीं से वर्दी सिलवाते हैं। कल्याणपुर की पुलिस ने टेलर को फोन किया। तब उसने बताया कि संजीव करीब 5 साल से वर्दी सिलवा रहे हैं। एसीपी ने कहा- संजीव ने लोगों को पुलिस डिपार्टमेंट में नौकरी लगवाने का झांसा देकर लाखों की ठगी की। काकादेव में रहने वाले पुलिस विभाग से रिटायर्ड दीवान विजय यादव से 6 लाख रुपए लिए थे। ठगी के शिकार लोगों से पुलिस तहरीर मांग रही है। फर्जी दरोगा पर और मुकदमे भी दर्ज होंगे। मामले की जांच कर रहे इंदिरानगर चौकी इंचार्ज अरुण कुमार सिंह ने कहा- छापेमारी करने गए टीम में शामिल लोग संजीव का रसूख देकर दंग रह गए। जितनी वर्दी पुलिस में होने के बाद उन लोगों के पास नहीं, उससे ज्यादा तो नकली दरोगा के पास निकलीं। एक-दो नहीं, घर से दरोगा के 4 आईफोन बरामद हुए। 11 जोड़ी जूते और 4 कैप तो किसी असली दरोगा के पास भी नहीं हैं। उसके घर पर छापेमारी करने पहुंचे पुलिसकर्मियों ने बताया कि जूता, घड़ी, बेल्ट, कपड़े और फोन समेत एक-एक चीज ब्रांडेड इस्तेमाल करता था। एसीपी ने कहा- संजीव के ड्राइविंग लाइसेंस में भी वर्दी में ही उसने अपनी फोटो खिंचवाई। उस ड्राइविंग लाइसेंस को भी सीज कर दिया गया। संजीव के मोबाइल फोन पर गूगल की सर्च हिस्ट्री चेक की गई। वह पुलिस की कार्यशैली, जांच, किसी एफआईआर दर्ज होने के बाद पहला प्रोसेस क्या होता है, वर्दी पहनने से लेकर पुलिस की ट्रेनिंग के अलग-अलग हिस्सों को संजीव गूगल पर सर्च करता। 29 साल का संजीव कुमार फर्रुखाबाद के मोहम्मदाबाद के गांव रठौरा नंगला का रहने वाला है। एक टीम को फर्रुखाबाद भेजा गया है।