• अरबों रुपए खर्च होने के बाद भी नहीँ हो सकी निर्मल गंगा।

संवाददाता
कानपुर। नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत गंगा को अविरल और निर्मल बनाने के लिए अरबों रुपए खर्च किए जा चुके हैं। अधिकारियों का दावा है कि गंगा में किसी भी नाले का पानी नहीं गिर रहा है और सभी नालों को टैप कर दिया गया है। लेकिन यह दावे सिर्फ कागजों तक ही सीमित नजर आते हैं।
जाजमऊ इलाके में एयरपोर्ट नाले से बीते दिनों में करोड़ों लीटर गंदा पानी सीधे गंगा में गिर रहा है।
जाजमऊ थाने के बगल वाली सड़क से एयरपोर्ट नाले का रास्ता है। करीब 2.5 किलोमीटर अंदर की तरफ कच्ची सड़क पार करके नाला है। नाले से तेज रफ्तार से गंदा पानी सीधे गंगा में गिर रहा है । पानी के गिरने के बाद गंगा में सफेद झाग उठ रहा है और पानी का रंग काला हो गया है। यहाँ पर गंगा का पानी पूरी तरह दूषित है।
स्थानीय लोगों के अनुसार बीते दिनों नाले की दीवार टूटने के बाद से नाले का पानी सीधे गंगा में जा रहा है। नाले के पास खड़े होने पर पानी की तेज आवाज भी सुनाई दे रही थी। पानी के गिरने की रफ्तार यह दिखा रही थी कि पिछले दिनों से करोड़ों लीटर गंदा पानी नाले के रास्ते सीधे गंगा में जा रहा है।
अधिकारी समय-समय पर दावा करते रहे हैं कि गंगा में गिरने वाले सभी नालों को टैप कर दिया गया है। लेकिन नाले से आने वाला पानी और उसकी रफ्तार यह साबित करने के लिए काफी है कि अधिकारी केवल कागजों पर ही दावा कर रहे हैं।
हैरानी तब हुई जब स्थानीय लोगों ने बताया कि इस नाले को कभी टैप ही नहीं किया गया। पास में लगे एसटीपी के बंद होने पर यह नाला सीधे गंगा में गंदा पानी छोड़ देता है। लोग इस नाले को ‘चोर नाला’ भी कहते हैं।
नाले से गंदा पानी सीधे गंगा में गिर रहा है, लेकिन गंगा को अविरल और निर्मल बनाने का दावा करने वाले अधिकारी इस हकीकत को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं।
इस मामले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी अजीत कुमार सुमन से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि यह उनका क्षेत्र नहीं है और नाले की दीवार के टूटने के लिए नगर निगम से संपर्क करें।





