
संवाददाता
कानपुर। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर की स्टाफ ट्रेनिंग यूनिट ने तीन दिवसीय राष्ट्रीय स्तरीय कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया। इस कार्यशाला में देशभर के प्रमुख शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों के कर्मचारियों और प्रशासकों ने भाग लिया। यह कार्यशाला पेशेवर विकास, ज्ञान साझा करने और सहयोगात्मक सीख के लिए एक प्रभावी मंच साबित हुई, जो उच्च शिक्षा और क्षमता निर्माण के प्रति आईआईटी कानपुर की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
इस कार्यशाला में आईआईटी, एनआईटी, ट्रिपल आईटी, केंद्रीय विश्वविद्यालयों, आईआईएम और सी-डॉट जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से आए प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। इन प्रतिभागियों की विविध पृष्ठभूमियों ने सत्रों में गहराई और संवादात्मकता को बढ़ाया, जिससे कार्यशाला अधिक समृद्ध और प्रभावशाली बनीं।
इस कार्यशाला का उद्घाटन आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल ने किया। अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों के प्रशासनिक क्षेत्र में कौशल विकास और क्षमता निर्माण की बढ़ती आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि हमारे प्रशासनिक और सहायक कर्मचारी संस्थान की प्रगति की रीढ़ हैं। उनके प्रशिक्षण में निवेश करना उतना ही जरूरी है जितना अकादमिक विकास में। यह कार्यशाला उन्हें सशक्त बनाने के हमारे संकल्प को दर्शाती है।
आईआईटी कानपुर के उप निदेशक प्रो. ब्रज भूषण ने कार्यशाला में सक्रिय भूमिका निभाई और प्रतिभागियों को लगातार प्रोत्साहित किया। उन्होंने विशेषज्ञ वक्ताओं को सम्मानित भी किया और इस अवसर पर कहा कि उच्च शिक्षा में तेजी से हो रहे बदलावों के बीच हमें केवल अनुकूलन ही नहीं, बल्कि नवाचार और समझदारी के साथ नेतृत्व करना होगा। यह कार्यशाला उसी भावना का प्रतीक है। लोगों को एक साथ लाकर सीखने, साझा करने और सामूहिक रूप से आगे बढ़ने का प्रयास करना होगा।
इस कार्यशाला के आयोजन में आईआईटी कानपुर के रजिस्ट्रार विश्व रंजन की योजना और नेतृत्व निर्णायक साबित हुआ। उन्होंने आयोजन की प्रत्येक बारीकी पर ध्यान दिया और यह सुनिश्चित किया कि लॉजिस्टिक्स से लेकर लर्निंग आउटकम तक हर पहलू उच्चतम गुणवत्ता और पेशेवर मानकों के अनुरूप हो। उनके सत्र में प्रशासनिक दक्षता और नेतृत्व जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई, जो प्रतिभागियों के लिए अत्यंत लाभकारी रही।
कार्यशाला की सफलता में प्रतिष्ठित विशेषज्ञों की सहभागिता ने और अधिक सहयोग जोड़ा। इनमे कन्हैया चौधरी, सेवानिवृत्त संयुक्त सचिव, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, जी.सी. प्रसाद, वित्त अधिकारी, राज्य स्तरीय नोडल एजेंसी, ग्रामीण विकास विभाग, रांची, कुमार राजेश, निदेशक, आइसीएआर, नई दिल्ली और विश्व रंजन, रजिस्ट्रार, आईआईटी कानपुर आदि वक्ताओं की गहरी विशेषज्ञता और विचारोत्तेजक सत्रों ने कार्यशाला को अत्यधिक समृद्ध किया।
यह कार्यशाला आईआईटी कानपुर की उस व्यापक पहल का हिस्सा है, जो भारत के शैक्षणिक तंत्र में उत्कृष्टता, सहयोग और नवाचार की संस्कृति को मजबूती देने की दिशा में कार्य कर रही है। इस प्रकार के आयोजन न केवल संस्थागत क्षमताओं को सशक्त बनाते हैं, बल्कि देशभर में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और प्रभाव को भी बढ़ाते हैं।