आ. सं.
कानपुर। केजीएमयू में रेजीडेंट डाक्टर प्रकृति वासवानी के गर्ल्स हॉस्टल के चौथे माले से कूदने की घटना को लेकर परिजनों ने सवाल उठाए हैं। केजीएमयू पहुंचे डाक्टर प्रकृति के चाचा ने साफ कहा कि उनकी भतीजी सुसाइड जैसा कदम नहीं उठा सकती।
घायल प्रकृति का लगभग 10 घंटे तक केजीएमयू में ऑपरेशन चला। उनके दोनों पैरों में मल्टीपल फ्रैक्चर होने के कारण डाक्टरों को यह ऑपरेशन करना पड़ा।
सिंधी कॉलोनी निवासी डा. प्रकृति के चाचा विनोद उर्फ विनू वासवानी केजीएमयू पहुंचे। चाचा ने बताया कि वहां पर उनकी प्रकृति के दोस्तों से बात हुई है। सभी ने एक स्वर में कहा कि प्रकृति ऐसी लड़की थी ही नहीं, जो सुसाइड करने के बारे में सोचे। चाचा ने कहा कि उसने एमबीबीएस की पढ़ाई केजीएमयू से ही की है। वो चार साल से यही रहती थी। उसे यहां की हर गली, हर मोहल्ले और यहां तक की छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी जगहों के बारे में पूरी जानकारी थी।
प्रकृति यह कदम क्यों उठाएगी। वो घर आती थी तब भी ऐसा कोई अहसास नहीं हुआ कि वो किसी प्रकार के दबाव में थी। प्रकृति बहुत बोल्ड थी।
अस्पताल में जो सपोर्टिंग स्टॉफ है। उनसे भी इस विषय में बात की गई तो उन्होंने भी यही कहा कि वो बहुत बोल्ड थी, आत्महत्या के बारे में तो वो सोच भी नहीं सकती थी। चाचा ने कहा कि जो नोट मिलने की बात कही जा रही है वो भी मीडिया से जानकारी हुई है। अभी परिवार के सामने नोट नहीं आया है। चाचा के मुताबिक घटना का असली कारण तभी पता चल सकता है जब प्रकृति होश में आए और जानकारी दे।
प्रकृति का मोबाइल घटना से पहले चार्जिंग पर लगा था। उसके चाचा ने यह जानकारी देते हुए कहा कि पुलिस ने उसका कमरा सील किया है। मोबाइल हाथ में आए तो उससे भी काफी कुछ पता चल सकता है।
चाचा विनोद ने बताया कि चौथे माले से गिरने के कारण प्रकृति के दोनों पैरों की जांघों में मल्टीपल फ्रैक्चर हुआ है। सुबह नौ बजे डाक्टर उसे ऑपरेशन थिएटर में ले गए थे। वहां पर दस घंटे यानी शाम सात बजे तक ऑपरेशन किया गया । डाक्टरों ने उसकी हालत स्थिर बताई है।