December 12, 2025

संवाददाता

कानपुर। नौबस्ता के न्यू आज़ाद नगर में रहने वाले 75 वर्षीय संतोष कुमार द्विवेदी और उनकी पत्नी के लिए नौ वर्ष बाद फिर से अपने घर की चौखट पार करना एक बड़े राहत क्षण से कम नहीं था। पारिवारिक तनाव और बढ़ती प्रताड़ना के बीच उनके पुत्र और पुत्रवधू ने उन्हें घर से बाहर जाने पर मजबूर कर दिया था। दंपती रिश्तेदारों और किराये के कमरों में रहकर न्याय की प्रतीक्षा करते रहे। अंततः जिला मजिस्ट्रेट जितेंद्र प्रताप सिंह की अदालत में उनकी गुहार सुनी गई और उन्हें दोबारा गरिमापूर्ण अपने निवास का अधिकार मिला।

दंपती का आरोप था कि पुत्र और पुत्रवधू ने उनसे बेरुख़ी भरा व्यवहार किया और साल 2018 में उन्हें घर से निकलने पर मजबूर कर दिया। यह वही मकान था जिसे उन्होंने उम्रभर की कमाई लगाकर इस उम्मीद के साथ बनाया था कि यहीं परिवार के साथ शांति से बुजुर्गावस्था बिताएँगे। परंतु पारिवारिक परिस्थितियाँ बिगड़ने पर 2018 से ही उन्हें अपनी ही दहलीज़ छोड़कर अलग-अलग स्थानों पर आश्रय लेना पड़ा। कानूनी लड़ाई कई वर्षों तक निचली अदालतों में चली और बाद में उच्च न्यायालय ने जिला मजिस्ट्रेट को मामले की सुनवाई करके निर्णय देने का निर्देश दिया।

इस पृष्ठभूमि में डीएम कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनवाई का अवसर देते हुए अभिलेखों की विस्तृत जांच की। रिकॉर्ड के अनुसार भवन संख्या 73 न्यू आज़ाद नगर का 100 वर्गगज हिस्सा संतोष द्विवेदी के स्वामित्व में है, जिसकी पुष्टि 2017 के दानपत्र से होती है। 

जिलाधिकारी ने आदेश में कहा कि माता–पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण–पोषण एवं कल्याण अधिनियम 2007 का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बुजुर्गों को उनकी संपत्ति और निवास से वंचित न किया जाए। वरिष्ठ नागरिक को सुरक्षित और शांतिपूर्ण निवास का अधिकार कानून की मूल भावना है।

इसी आधार पर डीएम ने आदेश दिया कि भवन संख्या 73 के भूतल पर स्थित दो कमरे, एक किचन, एक लैट्रिन और एक बाथरूम में वादी को गरिमापूर्ण निवास दिलाया जाए।

चकेरी थाना प्रभारी को निर्देश दिया गया कि वे तत्काल प्रभाव से दंपती को उनके हिस्से के आवास में प्रवेश कराएँ। आदेश में स्पष्ट किया गया कि सिविल कोर्ट में लंबित अन्य पारिवारिक वाद अपने स्तर पर चलते रहेंगे, परंतु वृद्धजन को उनकी छत से वंचित नहीं किया जा सकता।

पुलिस की मौजूदगी में जब संतोष द्विवेदी वर्षों बाद अपने घर में दाखिल हुए तो स्थानीय लोगों ने इसे देर से मिला पर महत्वपूर्ण न्याय बताया। यह फैसला वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा और सम्मान के प्रति जिला प्रशासन के सख्त रुख का उदाहरण बनकर सामने आया है। बुजुर्ग दंपती ने डीएम का आभार व्यक्त किया।