December 23, 2024

भूपेन्द्र सिंह

कानपुर। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की ओर से आयोजित की जाने वाली टी-टवेन्टी  प्रमियर लीग का दूसरा संस्करण भी विवादों के घेरे में आ गया है। इससे पूर्व बीते साल 2023 में भी आयोजित की गयी ये लीग सरकार को पैसे न देने के मामले में विवादों में आ गयी थी।  इस बार प्रदेश के क्रिकेट संघ को देश की भारतीय प्रदर्शन अधिकार सोसायटी लिमिटेड (आईपीआरएस) द्वारा संगीत कार्यों में प्रदर्शन अधिकारों के लाइसेंस मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए यूपीसीए को कानूनी नोटिस भेजा है।कम्पनी ने यूपीसीए को बिना लाइसेंस के बीते साल कानपुर के ग्रीनपार्क और इस बार लखनऊ के इकाना में आयोजित उत्तार प्रदेश प्रीमियर लीग टी-टवेन्टी प्रतियोगिता के दौरान अपने परिसर में संगीत का व्यावसायिक उपयोग करने या बजाने के लिए कानूनी नोटिस भेजा है।कम्पनी का आरोप है कि यूपीसीए ने आईपीआरएस संस्था  से अनुमति लिए बिना ही प्रीमियर लीग के मैचों में गीत संगीत का प्रयोग किया है जिसके लिए गीतकार और संगीतकार को रायल्टीे देनी पडती है। यूपीसीए के सूत्र बतातें है कि कम्पनी ने यूपीसीए के वित्ति नियन्त्रक, इकाना स्टेडियम के मालिकान समेत प्रबन्धेतन्त्न और संघ के ही सीईओ स्‍तर के अधिकारी को नोटिस भेजा है जिसमें मैचों के दौरान ग्रीत संगीत का प्रयोग करने पर शुल्क् अदायगी की बात दोहरायी गयी है। सूत्रों के मुताबिक यूपीपीएल के दोनों संस्कैरणों में गीत संगीत का प्रयोग करने के लिए लाखों रुपए अदा करने पड सकते हैं। बतातें चलें कि आईपीआरएस एक गारंटी द्वारा सीमित कंपनी है और कंपनी अधिनियम 1956 के तहत है। यह एक गैर-लाभकारी संस्था है। यह कॉपीराइट अधिनियम, 1957 की धारा 33 के तहत केंद्र सरकार के साथ कॉपीराइट सोसायटी के रूप में पंजीकृत है, ताकि संगीत और साहित्यिक कार्यों और संगीत के साथ गाए जाने, बोले जाने या प्रदर्शन किए जाने वाले किसी भी शब्द या किसी भी क्रिया में कॉपीराइट व्यवसाय चलाया जा सके। यह कदम उनके परिसर में संगीत बजाने से पहले लाइसेंस प्राप्त करने की बार-बार चेतावनी के बाद उठाया गया है। लेकिन ये प्रतिष्ठान लाइसेंस न लेने पर अड़े रहे और इसलिए हमने उन्हें कानूनी नोटिस भेजा। अब यह उन पर निर्भर है कि वे लाइसेंस प्राप्त करें या मामले का सामना करें। संघ को कॉपीराइट अधिनियम, 1957की धारा 14(ए) (iii) के अनुसार संगीत कार्यों के मालिक (जो संगीतकार, गीतकार और प्रकाशक हैं) को अपने संगीत कार्यों को जनता के सामने प्रस्तुत करने या संप्रेषित करने या किसी अन्य व्यक्ति को ऐसा करने के लिए अधिकृत करने का विशेष अधिकार है उनको जवाब देने के लिए भी बाध्य होना पड सकता है। इस प्रकार कोई भी व्यक्ति जो सार्वजनिक रूप से संगीत प्रस्तुत करता है या उस संगीत को किसी भी माध्यम से जनता तक पहुंचाता है, चाहे लाइव या रिकॉर्ड किए गए माध्यम से, उसे संगीत के मालिक के प्राधिकरण की आवश्यकता होगी। लिखित सहमति जारी करके काम करता है, इस परिषद का गठन सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में कॉपीराइट के प्रवर्तन को मजबूत और कारगर बनाने तथा कॉपीराइट चोरी की आपराधिकता और कॉपीराइट के प्रभावी संरक्षण के सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व के बारे में जनता और प्रवर्तन प्राधिकरण दोनों को शिक्षित करने के लिए किया गया था। इस मामले में यूपीसीए के कई पदाधिकारियों से सम्पर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन सफल नही हो सका जबकि एक पूर्व पदाधिकारी ने बताया कि मैच के दौरान ऐसा करना अगर कानूनन गलत है तो उसमें सुधार करवाने के लिए आलाकमान से बातचीत कर समस्या  का निराकरण करवाया जाएगा।