
संवाददाता
कानपुर। नए उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ ने पुराने वाले यूपीसीए के पूर्व सचिव युद्धवीर सिंह के इंग्लैंड दौरे के लिए भारतीय क्रिकेट टीम का मैनजर नियुक्त किए पर आपत्ति दर्ज करवायी है। नए यूपीसीए के सदस्य ने बीसीसीआई को पत्र और ई-मेल के माध्यम से पूर्व सचिव के सभी काले कारनामों से अवगत करवाया है। उन्होंने बोर्ड को भेजी अपनी शिकायत में यह भी दर्ज करवाया है कि मेरठ कालेज में प्राचार्य पद की गरिमा को धूल धूसरित करने वाले पूर्व सचिव संघ में हाशिए पर हैं तो उनकी नियुक्ति नियमों के खिलाफ ही है।भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के महासचिव एवं लोकपाल को पत्र भेजकर एक सजग नागरिक उपेन्द्र यादव,ने यह पत्र अत्यंत चिंता और आश्चर्य के साथ लिखा है कि बोर्ड आगामी इंग्लैंड दौरे के लिए भारतीय क्रिकेट टीम का टीम मैनेजर जिस व्यचक्ति को नियुक्त किया गया है वह न्याय और पारदर्शिता की भावना के भी विपरीत है। उन्होंने युद्धवीर के खिलाफ गंभीर आपत्तियों के आधार बताए जिसमें मुख्य रूप से उनके खिलाफ कंपनी रजिस्ट्रार में दर्ज लंबित आपराधिक मुकदमे हैं जिसकी सुनवायी जारी है। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन प्राइवेट लिमिटेड (यूपीसीए) के निदेशक हैं। उनके और संस्था के खिलाफ कंपनी मामलों के रजिस्ट्रार, कानपुर द्वारा वित्तीय अनियमितताओं के लिए कई आपराधिक मुकदमे दर्ज किए गए हैं, जो वर्तमान में माननीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय, कानपुर नगर में अभी भी विचाराधीन हैं। शिकायतकर्ता ने उनके खिलाफ दर्ज दो प्रमुख मामलों का विवरण भी बोर्ड के अधिकारियों को भेजा है। वाद संख्या 86208/2025 आरओसी बनाम यूपीसीए और वाद संख्या 86205/2025 आरओसी बनाम यूपीसीए को दर्शाया गया है। इन मामलों में आरोप है: कोषों की हेराफेरी, वित्तीय विवरणों की गलत प्रस्तुति, संपत्ति का गलत लेखांकन, और संबंधित पक्षों के साथ लेन-देन को छिपाना। बीसीसीआई के नियमों के अनुसार, किसी भी पूर्व प्रशासक या पदाधिकारी को पुनः नियुक्त करने से पूर्व ‘कूलिंग ऑफ’ अवधि का पालन किया जाना आवश्यक है। यूपीसीए के निदेशक के रूप में श्री सिंह का वर्तमान कार्यकाल इस नियम का उल्लंघन है, चाहे संस्था इस पद को पदाधिकारी की श्रेणी में माने या नहीं। यह अत्यंत दुखद है कि बीसीसीआई जैसी प्रतिष्ठित संस्था, जो देश की क्रिकेट भावना की प्रतिनिधि है, ऐसे व्यक्ति को टीम मैनेजर जैसे गरिमामय पद पर नियुक्त कर रही है, जिनके ऊपर गंभीर आर्थिक अपराधों के आरोप हैं। यह निर्णय न केवल संस्था की साख को ठेस पहुँचाता है, बल्कि देशवासियों के विश्वास को भी कमजोर करता है।शिकायतकर्ता ने बोर्ड के पदाधिकारियों से उम्मीद जतायी है कि युद्धवीर सिंह की नियुक्ति की तत्काल समीक्षा कर उसे निरस्त कर पारदर्शिता लाने का काम करें।इस प्रकार की नियुक्तियों में नैतिकता, पारदर्शिता और कानूनी दायित्वों का पूर्णतः पालन सुनिश्चित किया जाए।जब तक न्यायालय द्वारा उपरोक्त मामलों में अंतिम निर्णय नहीं आ जाता, तब तक ऐसे किसी भी पद पर उनकी नियुक्ति को स्थगित रखा जाए।शिकायतकर्ता ने बोर्ड के पदाधिकारियों से कहा है कि निवेदन सार्वजनिक हित में किया जा रहा है, इसमें कोई निजी अथवा दुर्भावनापूर्ण उद्देश्य नहीं है। यह प्रामाणिक दस्तावेजों, एमसीए रिपोर्टों और न्यायिक वादों पर आधारित है। शिकायतकर्ता ने विश्वास जताया है कि बीसीसीआई इस विषय में उचित निर्णय लेकर देशवासियों का विश्वास पुनः प्राप्त करेगी।





