आ स. संवाददाता
कानपुर। मुम्बई इन्डियन्स और लखनऊ सुपर जायन्टस के बीच इकाना स्टेडियम में शुक्रवार को खेले गए मैच के लिए मेजबान टीम को काली मिटटी वाली पिच में खेलने का फायदा मिला जिससे वह अपनी विरोधी टीम को छठे से 5वें मैच में एक बार फिर से पराजित करने में सफल हो सकी। जहां मेजबान लखनऊ को मेहमान पंजाब के खिलाफ पराजय का सामना करना पड गया था हालांकि उसमें भी लाल मिटटी वाली पिच का कमाल था। गौरतलब ये भी है कि इकाना में लाल और काली मिटटी से लगभग 9 विकेट बनायी गयी है। जिसमें प्रदेश में काली मिटटी वाली पिचों पर अधिक मैच खेले जाते हैं। इकाना में विकेट को लेकर रहस्य अभी भी बरकरार माना जा रहा है।
29 जनवरी 2025 को लखनऊ के इकाना स्टेडियम में भारत और न्यूजीलैंड के बीच दूसरा टी-20 मुकाबला खेला गया था। दर्शकों को चौकों-छक्कों की उम्मीद थी, लेकिन स्लो पिच ने सभी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। न्यूजीलैंड किसी तरह 20 ओवर में 98/8 का स्कोर बना सका। जब भारत लक्ष्य का पीछा करने उतरा, तो लगा कि टीम इंडिया आसानी से मैच जीत जाएगी। लेकिन हुआ उल्टा— 99 रन के छोटे से लक्ष्य को हासिल करने में भी भारतीय टीम के पसीने छूट गए। आखिरकार, आखिरी गेंद पर गिरते-पड़ते जीत हासिल हो सकी थी। हाल ही में महिला प्रीमियर लीग के कई मैच इसी मैदान पर खेले गए, और इससे पहले लखनऊ के इकाना स्टेडियम ने वनडे विश्व कप के मैचों की मेजबानी भी की। जिस पिच पर कभी रनों का अकाल था, वही अब बल्लेबाजों के लिए स्वर्ग बन गई है।इकाना की रहस्यमयी पिचों की थ्योरी पर अपने बयान देते हुए सीनियर पत्रकार असीम मुखर्जी ने गलत बताया और कहा कि सही मिट्टी संतुलन से अब यह पिच उच्च गुणवत्ता की हो गई है। महिला प्रीमियर लीग में भी इसका शानदार प्रदर्शन देखने को मिला। उनका मानना है कि बीसीसीआई को यह मैदान पसंद आ रहा है, इसलिए यहां लगातार बड़े मैच हो रहे हैं, जिससे पिच और निखर रही है।वहीं एक और पत्रकार सन्तोष सूरी ने बताया कि मुम्बई की टीम को लाल मिटटी पर खेलने का तजुर्बा अधिक है जिसके चलते टीम को काली मिटटी पर खेलने का खास अनुभव भी नही है। उन्होंने बताया कि मुम्बई को काली मिटटी का विकेट पढने में नाकामयब रही जिसका खामियाजा उसे हार के साथ करना पड गया।