आज़ाद संवाददाता
कानपुर। शहर में ऐसी कई कॉलोनियां हैं, जो अपनी मियाद पूरी कर चुकी हैं। कई ऐसे क्षेत्र भी है जहां के भवन जर्जर हैं। इसके साथ ही बड़ी संख्या में बस्तियां भी हैं। ऐसे पुराने बसे इलाकों को नए सिरे से विकसित करने की योजना तैयार की गई है। शासन की ओर से बनाई जा रही री-डेवलपमेंट पॉलिसी शहर में भी लागू करने की तैयारी है।
इसके तहत केडीए निजी डेवलपर की मदद से पुराने और जर्जर ढांचों की जगह बहुमंजिला इमारतें बनाएगा। विकास प्राधिकरणों पर अतिरिक्त भार बचाने के लिये यहां पुराने लोगों के समायोजन के साथ ही बचे हिस्से को एग्रीमेंट के तय मानकों के मुताबिक बेचकर डेवलपर प्रोजेक्ट का खर्च निकाला जायेगा।
आवास विभाग की तरफ से तैयार की जा रही री–डिवेलपमेंट पॉलिसी के तहत पुराने या बदहाल हो चुके इलाकों को नये भवन मानक और एफएआर के मुताबिक विकसित करने की योजना है। इन्हे भवन निर्माण एवं विकास उपविधि-2025 के ड्राफ्ट से जोड़ा जायेगा। इस उपविधि में इमारतों का एफएआर यानी ऊंचाई तक निर्माण के मानक को तीन गुना तक बढ़ाने की तैयारी है। इसे लागू करने के लिए कवायद चल रही है। इसके लागू होने के बाद पुराने इलाकों में ज्यादा ऊंचाई तक निर्माण करवाया जा सकेगा।
इससे शहरी गरीबों और मध्यम वर्ग के परिवारों को खासा फायदा होगा। केडीए के अधिकारियों के मुताबिक इससे झुग्गी-बस्तियों से घिरी जमीनों को खाली कराके उसके एक हिस्से में अपार्टमेंट बनाकर रहने वालों को समायोजित किया जा सकता है। इसके बाद खाली हुई बाकी जमीन पर डेवलपर दूसरी आवासीय या कामर्शियल योजना लांच कर पूरे प्रोजेक्ट का खर्च निकाल सकता है।
एग्रीमेंट के मुताबिक डेवलपर जो भी मकान तोड़ेगा, वो वहां रहने वाले लोगों को दूसरी जगह रहने के लिए तीन साल तक किराया देगा। पॉलिसी के मुताबिक दो से तीन साल के भीतर ही नया निर्माण पूरा करवाना होगा।
