November 21, 2024
कानपुर। अफ्रीकी देशों से फैले कोरोना जैसे चरित्र वाली बीमारी मंकीपॉक्स को लेकर बड़ी खबरें अब सामने आ रही है। इस वायरस को भी कोरोना जैसा काफी खतरनाक माना गया है। इसको लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय काफी सतर्कता बरत रहा है।विशेषज्ञों के अनुसार मंकीपॉक्स के शुरुआती कुछ लक्षण नजर आने लगते है। यदि इसे शुरू में ही पहचान कर इलाज शुरू कर दिया जाए, तो इससे जल्द राहत मिल सकती है। दुनिया में मंकीपॉक्स का सबसे पहला मरीज 1958 में अफ्रीका देश में मिला था। इसके बाद 2022 में साउथ एशिया में 23 केस सामने आए थे और उसी दौरान भारत में भी इसका मरीज मिला था।कानपुर मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. एसके गौतम ने बताया कि ये आम वायरस की तरह ही ये वायरल डिजीज होता है। इसे आर्थोपॉक्स वायरस के नाम से भी जाना जाता है। हवा में संक्रमण फैलने से भी आप इसकी चपेट में आ सकते हैं।यदि किसी को ये वायरस है और वह व्यक्ति खांसता या छीकता है तो ऐसे में उसका वायरस हवा में फैल जाता है। इसके बाद ये वायरस हवा में करीब 5 से 6 घंटे तक जिंदा रहता है। इस दौरान कोई भी व्यक्ति इसकी चपेट में आया तो उसके संक्रमित होने का खतरा ज्यादा होता है। डॉ. गौतम ने बताया- इस वायरस के लक्षण अगले ही दिन व्यक्ति के शरीर में दिखाई देने लगते है। इसमें मरीज को सबसे पहले शरीर में दर्द के साथ तेज बुखार आएगा। इसके अलावा पेट में दर्द, उल्टी होना भी इसके लक्षण है। इसके अलावा दो से तीन दिन के बाद शरीर पर छोटी-छोटी गांठ पड़ने लगती है। ऐसे में व्यक्ति को तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेनी चाहिए।डॉ. एसके गौतम ने बताया- जब भी कभी लक्षण दिखे तो आप खुद को तुरंत क्वारंटाइन कर ले। इसके अलावा अपने बिस्तर और कपड़ों को अलग कर ले। घर पर भी रहे तो मास्क का प्रयोग करे। खांसते और छीकते समय तो मास्क का प्रयोग अवश्य करें। इसमें वह सारे नियमों का पालन करें जो कोरोना में फालो किए जाते थे।ये संक्रमण जब तक गले तक रहता है तब तक तो ठीक है, लेकिन जब इसका संक्रमण गले से नीचे उतरता है तो मरीजों में खतरा उतना ही ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसे में मरीज निमोनिया का शिकार हो जाता है। फिर स्थितियां थोड़ी गंभीर बन जाती है। इसी लिए कहा जाता है इसमें मरीज को लापरवाही न करते हुए तुरंत उपचार शुरू कर देना चाहिए।डॉ. गौतम ने बताया- इसमें मरीजों को कोई खास अलग इलाज नहीं दिया जाता है। बुखार उतारने के लिए पेरासिटामोल, उल्टी के लिए ओंडम, संक्रमण को कम करने के लिए एंटीबायोटिक दवा चलाई जाती है। उसी से ही आराम मिलता है।डॉ. गौतम ने बताया- ये वायरस बच्चों, बुजुर्गों के अलावा उन लोगों पर ज्यादा असर करता है, जिनको लीवर, किडन, शुगर, एच आई वी, कैंसर जैसी बीमारी होती है। इन मरीजों की शारीरिक क्षमता कमजोर होती है इसलिए ये वायरस उन पर जल्दी अटैक करता है।

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