
आ स. संवाददाता
कानपुर। नगर में प्रदेश का पहला अर्बन फ्लड स्कीम के तहत मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है। इसकी शुरुआत भी कानपुर नगर निगम ने कर दी है।
इसके तहत शहर के हर छोटे-बड़े नाले की समुद्र तल से ऊंचाई मापी जाएगी। सैटेलाइट सर्वे के लिए इसरो की मदद ली जाएगी। नगर निगम ने मैपिंग के जरिये 27 जलभराव क्षेत्र भी चयनित किए है।
नगर निगम के चीफ इंजीनियर एसएएफ जैदी ने बताया कि तैयार किए जा रहे इस अर्बन फ्लड मास्टर प्लान को सभी विभागों को मानना होगा।
इसके मुताबिक वे योजना भी तैयार करेंगे। इसको तैयार करने के लिए भारतीय मौसम विज्ञान विभाग से 30 वर्ष का रेन फॉल डाटा और पिछले 5 वर्ष में बारिश की इनटेनसिटी का डाटा भी मांगा गया है।
यूपी को फ्लड से बचाने के लिये सरकार ने बजट में 1 हजार करोड़ का प्रावधान किया है। इसके तहत ही शासन की ओर से शहरों को बाढ़ से बचाने के लिये मास्टर ड्रेनेज प्लान तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। इसी के तहत कानपुर नगर निगम ने तैयारी शरू कर दी है।
सबसे पहले नेशनल रिमोट सेंसिग सेंटर की मदद से मैपिंग की जा रही है। नगर निगम ने संपूर्ण डाटा कलेक्ट किया है। डिजिटल के साथ ही कलर एलबम तैयार किया गया है।
जिसके परीक्षण के लिये अधिकारियों की तैनाती की गई है। मैपिंग के सहयोग से आने वाले दिनों में जमीनी सत्यापन शुरू होगा।
नगर निगम के चीफ इंजीनियर ने बताया कि अभी शहर में नालों, नालियों की लेबलिंग न होने की वजह से जो कार्य होता है उसका फायदा शहर वासियों को नहीं मिल पाता है।
अब एक लेबलिंग में ही निर्माण होगा, ताकि कहीं भी जलभराव की स्थिति न बन पाए। मेन नाला व कैचमेंट एरिया में लेबलिंग करना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि मास्टर ड्रेनेज प्लान का मुख्य उद्देश्य वर्षा जल और सीवेज के पानी को अलग-अलग करना है। इसके लिए पाइप लाइन डाली जाएगी। वर्षा जल का संचयन करना और शहर के भीतर जलभराव को रोकना भी सबसे जरूरी उद्देश्य है।
मुख्य अभियंता ने बताया कि कानपुर के आसपास वाले क्षेत्रों को भी देखा जा रहा है, जहां से भारी मात्रा में शहर के अंदर फ्लड का पानी प्रवेश करता है।
इसके साथ ही शहर से बाहर जाने वाले पानी का भी डाटा तैयार किया जा रहा है। इसमें नदियों की भी मैपिंग होगी। ये भी देखा जाएगा कि शहर में बाढ़ के बड़े कारण क्या हैं।
मुख्य अभियंता ने बताया कि हाई फ्लड लेवल को लेकर डिजाइन तैयार करेंगे। ड्रोन से एरियल भूमि सर्वेक्षण सर्वे करेंगे। टोटल स्टेशन सर्वे से लेबल देखेंगे।
यह आधुनिक सर्वेक्षण उपकरण है जो इलेक्ट्रॉनिक थियोडोलाइट को इलेक्ट्रॉनिक दूरी मीटर के साथ एकीकृत करता है। इसके साथ ही लेदर क्लस्टर, आवासीय, व्यवसायिक का नेचर देखेंगे।
नगर निगम मकड़ी खेड़ा की तर्ज पर ही पूरे शहर का डाटा एकत्र कर रहा है। विभाग ने सेटेलाइट की मदद से ही इस क्षेत्र में होने वाले जलभराव को देखा था।
इसके बाद 230 करोड़ रुपये से मकड़ीखेड़ा में 7 किलो मीटर में पक्के सीवर व बरसाती नाले का निर्माण करने का प्रस्ताव बनाया गया है।
अगर यहां नाला बन गया तो मकड़ीखेड़ा नई बस्ती, एनआरआई सिटी, गंगापुर, पहलवानपुरवा समेत कई क्षेत्रों में बरसात में होने वाले भीषण जलभराव से निजात मिल जाएगी।
अब इसी तरह पूरे शहर में फ्लड का डाटा कलेक्ट कर मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है।