
आ स. संवाददाता
कानपुर। रंगों के त्योहार होली के बस कुछ ही दिन शेष बचे हुए हैं, ऐसे में कानपुर के जीटी रोड पर होलिका व प्रहलाद के पुतलों का बाजार सज चुका है। यहाँ की सड़क किनारे मौजूद दुकानों से नगर समेत कानपुर देहात, औरैया, कन्नौज तक होलिका व प्रहलाद के पुतले जाते है।
इस बाजार में 4 फीट से 20 फीट तक के पुतले मौजूद हैं, करीब 200 पुतलों की एडवांस बुकिंग भी हो चुकी है। जिनकी कीमत 1500 से 4 हजार रूपये तक है।
इस होली में शिवाला में 15 फीट की होलिका के पुतले का दहन किया जाएगा, ब्रिटिश शासन काल से शिवाला में मिट्टी की होलिका के पुतले का दहन किया जाता था।
गोल चौराहे से रोजगार सेवायोजन कार्यालय क्रासिंग तक जीटी रोड के दोनों ओर होलिका व प्रहलाद के पुतले तैयार किए जा रहे है। बीते 10 सालों से वहा पुतलों का निर्माण करा जा रहा है, एक पुतले को तैयार करने में 1500 से 2 हजार तक की लागत आती है। वहीं 15 फीट का पुतला तैयार करने में डेढ़ दिन का समय खर्च होता है।
पुतला तैयार करने में मशगूल गीता ने बताया कि बाजार में 4 फीट से लेकर 20 फीट तक के होलिका के पुतले तैयार किए जाते है। एक महीने पहले से अलग–अलग आकार के ढांचों को तैयार करने का काम शुरू कर दिया जाता है। कानपुर में कई स्थानों पर 10 से 15 फीट के होलिका के पुतले स्थापित किए जाएंगे, वहीं होलिका की गोद में बिठाने के लिए 2 से 4 फीट तक के प्रहलाद के पुतले तैयार किए गए है।
पुतला बेच रहे राजकुमार व ज्योति ने बताया कि नगर समेत चौबेपुर, बिल्हौर, मंधना, कानपुर देहात, ओरैया व कन्नौज से लोग पुतला खरीदने के लिए आते हैं। अब तक बाजार में करीब 200 छोटे–बड़े पुतलों को तैयार करने का ऑर्डर आ चुका है। होलिका दहन तक 500 से अधिक पुतलों की बिक्री होने का अनुमान है।
वहीं शिवाला से होलिका का पुतले का ऑर्डर देने आए मानू सिंह ने बताया कि शिवाला ओमेश्वर महादेव मंदिर समिति की ओर से ब्रिटिश काल के दौर से होलिका दहन का आयोजन किया जा रहा है। पूर्व में मिट्टी का पुतला तैयार किया जाता था, जिसमें 20 से 25 हजार का खर्च आता था। वहीं मिट्टी का पुतला तैयार होने में समय भी बहुत लगता था।
उन्होंने बताया कि मंदिर कमेटी की ओर से होलिका दहन में पिछले 10 सालों से बांस के पुतले का प्रयोग किया जा रहा है। इस बार 15 फीट की होलिका का दहन किया जाएगा। यहाँ पर कारीगर होलिका व प्रहलाद का पुतला तैयार कर खुद स्थापित करने आते हैं।