आ. सं.
कानपुर। भारतीय क्रिकेट नियन्त्रण बोर्ड के उपाध्यक्ष के खिलाफ अब कानूनी कार्यवाही करने के लिए लीगल नोटिस भेजा गया है। एडवोकेट साहिल वर्मा ने बोर्ड के नव नियुक्त सचिव को मेल और स्पीड पोस्ट के माध्यम से लीगल नोटिस भेजकर उपाध्यक्ष के खिलाफ बोर्ड की सभी गतिेविधियों में रोक लगाने की मांग भी उठायी है। लीगल नोटिस में कानूनी कार्यवाही के लिए बताया गया है कि बोर्ड के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला नौ (9) वर्षों से अधिक समय से बीसीसीआई के पदाधिकारी उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करते आ रहे हैं। नोटिस में यह भी दर्शाया गया है कि सर्वोच्च न्यायालय ने “बीसीसीआई बनाम क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार एवं अन्य” मामले में दिनांक 28.03.2014 के अपने आदेश के माध्यम से उपाध्यक्ष के पद को बीसीसीआई के पदाधिकारी के रूप में स्पष्ट रूप से मान्यता दी है। इसके अलावा, सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश के माध्यम से 02.01.2017 के आदेश में बीसीसीआई के पदाधिकारियों के लिए नौ वर्ष की सीमा अवधि निर्धारित की गई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा था कि ‘बीसीसीआई का कोई भी पदाधिकारी यदि नौ वर्ष से अधिक समय तक पद पर बना रहता है तो उसे अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।’माननीय सर्वोच्च न्यायालय के उपरोक्त निर्देशों के बावजूद, राजीव शुक्ला बीसीसीआई में उपाध्यक्ष के पद पर बने हुए हैं। सचिव को यह भी अवगत कराया गया है कि राजीव शुक्ला 2004-2014 तक उपाध्यक्ष रहे हैं, उसके बाद उन्हें 2020 में फिर से उपाध्यक्ष चुना गया। यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि राजीव शुक्ला ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित नौ वर्ष की सीमा अवधि पार कर ली है और इसलिए, राजीव शुक्ला माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना करते हैं। लीगल नोटिस भेजने वाले अधिवक्ता के अनुसार उनके मुवक्किल ने उन्हेव उचित कानूनी उपायों के तहत आपके खिलाफ आगे बढ़ने के लिए सख्त निर्देश दिए हैं, जब तक कि आप निम्नलिखित आवश्यकताओं का पूरी तरह से पालन नहीं करते हैं। राजीव शुक्ला को बीसीसीआई में उपाध्यक्ष के पद पर बने रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए तथा बीसीसीआई द्वारा किसी भी आगामी बैठक में उनकी उपस्थिति पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। आगामी एसजीएम में राजीव शुक्ला द्वारा लिया गया कोई भी निर्णय अमान्य माना जाएगा क्योंकि वे उपाध्यक्ष की हैसियत से कार्य नहीं कर सकते हैं और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार अयोग्य हैं। आगामी एसजीएम में राजीव शुक्ला की किसी भी तरह की भागीदारी को बीसीसीआई द्वारा न्यायालय की अवमानना माना जाएगा। किसी भी कानूनी कार्यवाही को शुरू करने से पहले इस नोटिस को संबोधित करना पसंद किया है, इस उम्मीद में कि आप पर बेहतर समझ हावी होगी और चेतावनी दिए जाने पर आप तुरंत ऐसा करना बंद कर देंगे और आगे से अपनी गैरकानूनी गतिविधि से दूर रहेंगे। यदि इस नोटिस की शर्तों का पूरी तरह से पालन नहीं किया जाता है, तो संवैधानिक कानून के इस घोर उल्लंघन के लिए आपके खिलाफ सभी आवश्यक कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड सकता है। ऊपर बताई गई किसी भी बात पर बिना किसी पूर्वाग्रह के, हमारा ग्राहक आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगा, यदि निर्धारित समय के भीतर उपरोक्त मांगें पूरी नहीं की जाती हैं।किसी भी तरह की टालमटोल वाली रणनीति अपनाने या किसी भी तरह के ढुलमुल पत्राचार में शामिल होने के खिलाफ भी चेतावनी दी है।